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राजस्थान में बिजली उपभोक्ताओं की मौज! अब सौर पैनल की दोगुनी छूट के साथ मिलेगी सस्ती बिजली

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Rajasthan Electricity News: राजस्थान के बिजली उपभोक्ताओं, खासकर औद्योगिक और वाणिज्यिक संस्थानों लिए खुशखबरी निकल कर आ रही है । अब वे अपनी जरूरत से दोगुनी क्षमता तक सोलर पैनल लगा सकेंगे। यह छूट उन्हें सरकार द्वारा पहली बार दी है । मगर इस नई ऊर्जा छूट के साथ एक अहम शर्त भी जुड़ी है: शर्त के मुताबिक कम-से-कम 20 फीसदी बिजली बैटरी में स्टोर करनी होगी, ताकि जब राज्य पर बिजली की सबसे ज्यादा मांग हो, उस समय सुचारू रूप से बिजली मिल सके।

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यह फैसला न केवल उद्योग जगत को राहत देने वाला है, बल्कि आम उपभोक्ताओं की बिजली कटौती की चिंता को भी कम कर सकता है।

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पहली बार दोगुनी क्षमता तक सोलर पैनल की छूट

राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग के इस ऐतिहासिक फैसले के तहत अब कैप्टिव सोलर पावर प्लांट्स (Captive Solar Power Plants) लगाने वालों को अपनी अधिकृत लोड क्षमता से दोगुनी क्षमता तक सोलर पैनल (Solar Panel) लगाने की इजाजत दे दी गई है। पहले यह सीमा उपभोक्ता के लोड के बराबर होती थी — जैसे 100 किलोवाट लोड वाले प्लांट को 100 किलोवाट का ही सोलर पैनल लगाने की अनुमति थी। अब वही प्लांट 200 किलोवाट तक सोलर ऊर्जा उत्पादन कर सकेगा।

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लेकिन… शर्त जरूरी है

इस योजना का लाभ तभी मिलेगा जब औद्योगिक इकाइयां (Industrial Units) अपनी सौर ऊर्जा (Solar Energy) का कम से कम 20 फीसदी हिस्सा बैटरी में स्टोर करें। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि पीक ऑवर्स — जब बिजली की मांग सबसे अधिक होती है — के दौरान यही सस्ती, स्टोर्ड बिजली काम में लाई जा सके। इससे न केवल डिस्कॉम (Discom) पर भार कम होगा, बल्कि उत्पादन लागत भी घटेगी।

जानकारों का मानना है कि 1 मेगावाट बैटरी स्टोरेज की लागत करीब 2 करोड़ रुपये आएगी और इससे 2 से 4 घंटे तक बिजली सप्लाई की जा सकेगी।

औद्योगिक मांगों को मिली मान्यता

बीते कुछ वर्षों से राजस्थान के उद्योग जगत ने लगातार यह मांग उठाई थी कि उन्हें अधिक सौर ऊर्जा उत्पादन की अनुमति दी जाए, ताकि वे अपने संचालन में ऊर्जा लागत को कम कर सकें। अब जाकर यह मांग सुनी गई है। लेकिन साथ ही सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जनहित सर्वोपरि है — इसलिए बैटरी स्टोरेज की अनिवार्यता जोड़ी गई है।

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इस बदलाव का उद्देश्य केवल औद्योगिक हित नहीं, बल्कि राज्य की ऊर्जा आपूर्ति व्यवस्था को संतुलित बनाना है।

व्हीलिंग और ट्रांसमिशन चार्ज में भी बड़ी छूट

नई नीति के तहत व्हीलिंग और ट्रांसमिशन चार्ज में भी बड़ी छूट की घोषणा की गई है। अब तक जहां इन चार्जेज़ की दरें 1.25 से 2 रुपये प्रति यूनिट तक थीं, वहीं अब इनमें 75% से 100% तक की छूट दी जा रही है। इससे औद्योगिक उपभोक्ताओं को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए और भी प्रोत्साहन मिलेगा।

सरकार का फोकस अब केवल उत्पादन नहीं, बल्कि हरित और स्मार्ट ग्रिड तैयार करने की दिशा में है।

क्या बदल जाएगा आम लोगों के लिए?

फिलहाल राज्य में 800 मेगावाट की क्षमता वाले कैप्टिव सोलर पावर प्लांट्स संचालित हो रहे हैं, और लगभग 26% औद्योगिक इकाइयां इस मॉडल को अपना चुकी हैं। अब नई अनुमति के साथ यह आंकड़ा और तेजी से बढ़ने की संभावना है।

लाभ सिर्फ उद्योगों तक सीमित नहीं रहेगा। जब कंपनियां अपनी जरूरत की बिजली खुद बनाएंगी और स्टोर करेंगी, तो डिस्कॉम पर दबाव घटेगा। इसका मतलब — आम उपभोक्ताओं के लिए बिजली की कटौती कम होगी और सेवा की गुणवत्ता बेहतर हो सकेगी।

निवेश और नवाचार का द्वार खुलेगा

“राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट ग्लोबल समिट” के बाद सरकार ने राज्य को ऊर्जा और निवेश की नई राजधानी बनाने का सपना देखा है। इस नीतिगत बदलाव के साथ वह सपना अब हकीकत की ओर कदम बढ़ा रहा है।

यह निर्णय सिर्फ नीति नहीं है, यह भविष्य की तैयारी है — जहां ऊर्जा, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था साथ-साथ चलें।

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