नई दिल्ली: देश के लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों की निगाहें आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की घोषणा पर टिकी हैं, लेकिन अब इसके जनवरी 2026 तक लागू होने की उम्मीदों पर संकट के बादल गहराते जा रहे हैं । ऐसे में कर्मचारी संघों की चिंताएं बढ़ रही हैं, वे सरकार से इस आयोग के समय से पहले गठन की मांग कर रहे हैं ताकि अनिश्चितता कम हो और वेतन संशोधन समय पर लागू हो सके।
इतनी देरी क्यों?
The Economic Times की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, 8वें वेतन आयोग की शुरुआत तय वक्त से टल सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 7वें वेतन आयोग के समय भी कुछ ऐसा ही हुआ था । उसकी घोषणा फरवरी 2014 में हुई थी और वह जनवरी 2016 में लागू हुआ। यानी, कागजी कार्रवाई, रिपोर्ट तैयारी और मंजूरी के लिए करीब दो साल का समय लग गया था ।
रिपोर्ट बताती है कि अगर जून 2025 तक इसके Terms of Reference यानी दिशा-निर्देश तय नहीं हुए, तो इसे जनवरी 2026 से लागू कर पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। यही नहीं, रिपोर्ट में ये भी संकेत दिए गए हैं कि कार्यान्वयन की प्रक्रिया 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत तक खिसक सकती है।
वरिष्ठ अधिकारी मान रहे हैं कि आयोग के गठन की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन नौकरशाही की गति को देखते हुए यह साफ है कि जनवरी 2026 की समयसीमा पूरी होना मुश्किल है। एक बड़ी बाधा सरकार के सामने वित्तीय संकट है। कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च, चुनावी वादे और राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है। वेतन में भारी बढ़ोतरी राजकोष पर दबाव डाल सकती है, जिसके चलते नीति निर्माता सावधानी बरत रहे हैं।
फिटमेंट फैक्टर का अनुमान: कितना बढ़ेगा वेतन?
वेतन संशोधन की कुंजी है ‘फिटमेंट फैक्टर’। यह वह गुणक है जिससे कर्मचारी का बेसिक वेतन फिर से गणना की जाती है। सातवें वेतन आयोग में यह 2.57 था, जिससे न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि आठवें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.5 से 2.86 के बीच हो सकता है।
टीमलीज के उपाध्यक्ष कृष्णेंदु चटर्जी बताते हैं, “महंगाई को देखते हुए संकेत मिल रहे हैं कि फिटमेंट फैक्टर 2.5 से 2.8 गुना के बीच रह सकता है। इससे कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 40,000 से 45,000 रुपये के बीच हो सकता है।” अगर 2.86 फैक्टर स्वीकृत हुआ, तो न्यूनतम वेतन 51,000 रुपये से अधिक हो सकता है। हालाँकि, वित्तीय बोझ के कारण इतनी बड़ी छलांग मुश्किल लगती है। 2.6 से 2.7 गुना की बढ़ोतरी अधिक संभावित लग रही है।
महंगाई भत्ता (DA) बेसिक पे में मिलेगा?
आठवें वेतन आयोग के साथ एक और बड़ा बदलाव हो सकता है: वर्तमान में लगभग 55% (जनवरी 2025 से प्रभावी) महंगाई भत्ते (DA) का बेसिक वेतन में विलय। जब भी कोई नया वेतन आयोग लागू होता है, उस समय तक जमा हुआ DA आमतौर पर संशोधित बेसिक वेतन में शामिल कर दिया जाता है। इससे कुल वेतन तो बढ़ेगा, लेकिन इसका मतलब यह भी होगा कि भविष्य में डीए की गणना शून्य से शुरू होगी। इसका फायदा यह होगा कि HRA और ट्रांसपोर्ट भत्ते जैसी अन्य भत्ते भी बढ़ेंगे। हालांकि, शुरुआत में डीए कम दिखेगा, लेकिन बेसिक वेतन ज्यादा होने से भविष्य में हर डीए वृद्धि का असर अधिक होगा।
पेंशनरों पर भी असर, चिंताएं गहराईं
सिर्फ वर्तमान कर्मचारी ही नहीं, लगभग 67 लाख सरकारी पेंशनर भी आठवें वेतन आयोग के लागू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। पिछले वेतन आयोगों की तरह इस बार भी पेंशन गणना के फॉर्मूले और लाभों में बदलाव की संभावना है। महंगाई राहत (DR) का बेसिक पेंशन में विलय भी पेंशनरों को प्रभावित करेगा। रिटायर्ड कर्मचारियों के संगठन भी वर्तमान कर्मचारियों की तरह सरकार से स्पष्टता की मांग कर रहे हैं कि नई व्यवस्था में उनकी पेंशन की पुनर्गणना कैसे होगी।
सरकारी चुप्पी और कर्मचारियों की बेचैनी
सरकार की ओर से फिलहाल इस पूरे मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन बताया जा रहा है कि कर्मचारी संगठनों और पेंशनर्स की मांगे सरकार तक पहुंच रही है । ऐसे में कर्मचारियों के पास इंतज़ार के और कोई विकल्प नज़र नहीं आ रहा।
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