RBI on Inflation : क्या आपको भी महीने के आखिरी हफ्ते में बजट संभालने में पसीना आता है? अगर हां, तो यह खबर आपके लिए राहत भरी हो सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो दर में दूसरी बार 0.25% की कटौती की है, और इसका सीधा असर अब खुदरा महंगाई पर दिखने लगा है। मार्च 2025 में महंगाई दर घटकर 3.47% रहने का अनुमान है, जो पिछले पांच सालों में सबसे कम स्तर है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, यह गिरावट खाद्य पदार्थों—खासकर सब्जियों और दालों—के दामों में नरमी की वजह से आई है।
क्यों घट रही है महंगाई?
CMIE के विश्लेषण में साफ हुआ है कि मार्च में खाद्य महंगाई दर 3% के करीब रह सकती है , जबकि फरवरी में यह 3.3% थी। इसकी सबसे बड़ी वजह रही टमाटर, प्याज और आलू जैसी रसोई की बुनियादी सब्जियों के दामों में भारी गिरावट। उदाहरण के लिए, जुलाई-नवंबर 2024 में टमाटर 65 रुपये/किलो तक पहुंच गया था, लेकिन मार्च 2025 में यह घटकर 20 रुपये/किलो के क़रीब आ गया। इसी तरह, प्याज और आलू के दाम भी पिछले 6-8 महीनों में 30-40% तक घटे हैं।
दालों के भाव भी हुए नरम
सर्दियों में खरीफ और रबी की बेहतर फसलों का असर दालों के बाजार पर भी दिखा। CMIE के मुताबिक, मार्च में दालों की महंगाई दर 2.3% घटी, जिसमें अरहर (5.2%) और चना (2%) प्रमुख हैं। किसानों को मिले बेहतर मौसम और सरकारी खरीद नीतियों ने मूंग, मसूर जैसी दालों को भी सस्ता किया है। हालांकि, चीनी और खाद्य तेलों में बढ़ती कीमतें अब भी चिंता का सबब बनी हुई हैं।
अनाज सस्ता, तेल महंगा
गेहूं और आटे की कीमतों में मामूली गिरावट (0.1-0.7%) से अनाज की महंगाई दर मार्च में 5.3% रही। लेकिन सरसों, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के दामों में तेजी ने इस फायदे को कुछ हद तक कम कर दिया। CMIE के आंकड़े बताते हैं कि तेल और वसा की कीमतें फरवरी के 16.4% से बढ़कर मार्च में 17.2% हो गईं। विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के भाव और सप्लाई चेन की चुनौतियां इसकी प्रमुख वजह हैं।
क्या जून में फिर घटेगी ब्याज दर?
महंगाई दर में जारी इस गिरावट को देखते हुए RBI जून 2025 में भी रेपो दर में एक बार फिर कटौती कर सकता है। वित्तीय विश्लेषक डॉ. राजीव मेहता कहते हैं, “खाद्य महंगाई पर नियंत्रण और कोर इन्फ्लेशन का स्थिर होना RBI के लिए सकारात्मक संकेत हैं। अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो होम लोन और व्यक्तिगत कर्ज़ पर ब्याज दरें घट सकती हैं।”
क्या 2024-25 में और राहत मिलेगी?
CMIE का अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में खुदरा महंगाई की औसत दर 4.64% रह सकती है, जो 2023-24 के 5.36% से काफी कम है। यह गिरावट नई फसलों की आवक, सरकारी स्टॉक प्रबंधन और वैश्विक मुद्रास्फीति दबावों में कमी के कारण संभव हो पाई है। हालांकि, मॉनसून की अनिश्चितता और ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव अभी भी चुनौती बने हुए हैं।