राजस्थान में इन दिनों सबसे ज़्यादा चर्चा को जो विषय बना हुआ है वो है प्रदेश में चल रहे नकली खाद और बीज के कारोबार की। राज्य के भोले भाले किसान इन नकली फ़र्टिलाइज़र माफियाओं द्वारा ठगे जा रहे हैं, किसान की मेहनत, उनकी उम्मीदें, सब कुछ दांव पर लगी हुई है। लेकिन अब राज्य सरकार ने इस गंभीर समस्या पर निर्णायक मोर्चा खोल दिया है।
राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने स्पष्ट शब्दों में चेताया है कि किसानों के साथ धोखा करने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा। इसी दिशा में, कृषि विभाग ने एक कड़ा आदेश जारी किया है – अब गांवों में बिना लाइसेंस के कोई भी किराना दुकान, दूध की डेयरी या अन्य दुकानदार किसानों को बीज नहीं बेच सकेंगे।
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किसानों को राहत देने की दिशा में बड़ा कदम
ये फैसला सिर्फ प्रशासनिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि उन किसानों की पीड़ा की प्रतिक्रिया है जो हर बार फसल खराब होने पर खुद को दोषी मानते थे, जबकि असली वजह होती थी नकली बीज या मिलावटी खाद। नया आदेश बीज अधिनियम 1966, बीज नियम 1968 और बीज नियंत्रण आदेश 1983 के प्रावधानों के तहत लागू किया गया है।
अब अगर कोई भी अनधिकृत विक्रेता बीज बेचता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें जुर्माना, दुकान सील करना और कानूनी कार्रवाई तक शामिल है।

नकली खाद और बीज की कई फैक्ट्रियों का पर्दाफाश
राज्य में हाल ही के दिनों में जिस तरह से कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा में नकली खाद और बीज की कई फैक्ट्रियों का पर्दाफाश हुआ है। उसने किसान के विश्वास को अंदर तक तोड़ कर रख दिया है । किसानों में अब इन खाद बीज कंपनियों और दुकानदारों को लेकर अविश्वास का माहौल बना हुआ है। यही वजह है कि सरकार अब न केवल नियम कड़े कर रही है, बल्कि किसानों को जागरूक भी कर रही है।
कैसे पहचाने असली DAP खाद? कृषि विभाग ने दिए टिप्स
कृषि अधिकारी पवन शर्मा के अनुसार, नकली DAP खाद की पहचान अब किसान खुद भी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि-
- असली DAP के दाने भूरे, काले या बादामी होते हैं।
- ये दाने कठोर होते हैं और नाखून से नहीं टूटते।
- कुछ दानों को चूने के साथ मलने पर अगर तीखी, झनझनाती गंध आए जिसे सूंघना मुश्किल हो, तो वह खाद असली है।

ये सुझाव भले ही साधारण लगें, लेकिन किसान की नज़र में यह भरोसे की एक नई किरण है।
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नकली खाद-बीज किसी महामारी से कम नहीं
राजस्थान जैसे कृषि-प्रधान राज्य में, जहां लाखों परिवारों की रोज़ी-रोटी खेती पर टिकी है, वहां नकली बीज और खाद किसी महामारी से कम नहीं। सरकार की यह सख्ती न केवल दोषियों को रोकेगी, बल्कि छोटे किसानों को भी ताकत देगी – कि वे अपने हक के लिए आवाज़ उठा सकें।
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