कुरुक्षेत्र। हरियाणा के ग्रामीण इतिहास का एक नया और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पिहोवा के हेलवा गांव (Helwa village) में, प्रशासन द्वारा आयोजित पंचायती ज़मीन की खुली नीलामी (Open auction) में कुछ ऐसा हुआ कि सबको हैरान कर दिया। हरियाणा के कृषि इतिहास में ऐसा कुछ पहली बार जब महज़ 1 एकड़ 3 कनाल 15 मरले पंचायती ज़मीन का सालाना ठेका 11 लाख रुपये तक पहुंच गया।
यह नीलामी कोर्ट के आदेश पर कराई गई थी, जिसमें कुल 122 एकड़ पंचायती ज़मीन के छोटे-छोटे 55 प्लॉट्स शामिल थे। जैसे ही एक-एक एकड़ की बोली शुरू हुई, प्रशासनिक अधिकारी खुद चकित रह गए। बोलियां आसमान छूने लगीं। पूरे नीलामी से प्राप्त कुल राजस्व 1.61 करोड़ रुपये रहा, जो किसी भी गांव के लिए एक रिकॉर्ड है। हालांकि, इससे पहले दो बार यह नीलामी विभिन्न कारणों से रद्द हो चुकी थी।
प्लॉट नंबर 12: जबरदस्त मुकाबला और ऐतिहासिक बोली
सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी प्लॉट नंबर 12 की बोली ने। इसी प्लॉट का ठेका पिछली बार सिर्फ 24 हजार रुपये में था। इस बार दो बोलीदाताओं – राजेंद्र गिर और एक अन्य के बीच जबरदस्त होड़ शुरू हो गई। दोनों जोश में ‘पट्ट’ (जांघ) पर हाथ मारते हुए बोली चढ़ाते रहे। एक बोलीदाता लगातार 1-1 लाख रुपये की छलांग लगा रहा था, लेकिन राजेंद्र गिर डटे रहे। साढ़े नौ लाख रुपये के बाद जब प्रतिद्वंद्वी पीछे हटा, तो राजेंद्र ने सीधे 11 लाख की बोली लगाकर पलटवार किया। प्रशासन द्वारा उनके नाम ठेका घोषित करते ही, खुशी से उछलते हुए फिर उन्होंने ‘पट्ट’ पर हाथ मारा।
विधवा और दिव्यांगों की ज़मीनें पर चुप्पी
इस उत्साही माहौल के बीच एक मार्मिक और विचारणीय पहलू भी सामने आया। नीलामी में रखी गई तीन विधवाओं और एक दिव्यांग व्यक्ति की आरक्षित ज़मीनों पर एक भी बोलीदाता आगे नहीं आया। किसी ने भी इन प्लॉट्स के लिए बोली नहीं लगाई। मजबूरन, प्रशासन को पिछले साल के 24 हजार रुपये के आधार दर से बोली शुरू करनी पड़ी। इन चारों प्लॉट्स को मूल मालिकों ने ही महज 500-500 रुपये अधिक देकर अपने नाम कर लिया।
हरियाणा के हेलवा गांव में जमीन की रिकॉर्ड बोली
पारंपरिक रूप से, पंचायती ज़मीन के पुराने पट्टेदार लगभग 10% बढ़ोतरी के साथ ठेका नवीनीकृत करवा लेते थे। लेकिन इस खुली नीलामी ने सब कुछ बदल दिया। कई प्लॉट्स की बोली में 40% से 45% तक का उछाल देखा गया। गांव में अन्य उल्लेखनीय बोलियों में शामिल रहीं:
प्लॉट नंबर | क्षेत्रफल | ठेका राशि | बोलीदाता का नाम |
---|---|---|---|
12 | 1 एकड़ 3 कनाल 15 मरले | ₹11 लाख | राजेंद्र गिर |
30 | 4 एकड़ 4 कनाल 16 मरले | ₹11 लाख | नंदलाल |
31 | 4 एकड़ 3 कनाल 6 मरले | ₹14 लाख | अजमेर |
1 | 3 एकड़ 6 कनाल 7 मरले | ₹6 लाख | — |
13 | 2 एकड़ 6 कनाल 12 मरले | ₹5 लाख | होशियार सिंह |
बीसी रिजर्व 7 | 6 कनाल | ₹1.35 लाख | रेखा देवी |
बीसी रिजर्व 18A | 1 एकड़ | ₹2.75 लाख | महेन्द्र सिंह |
17 | 7 कनाल 15 मरले | ₹90 हजार | रविंदर कौर |
55 | 1 एकड़ 5 कनाल | ₹1.51 लाख | हैप्पी |
स्थानीय लोगों ने नीलामी के इस तरीके का किया विरोध
हालांकि, इस रिकॉर्ड राजस्व के पीछे एक कड़वाहट भी छिपी है। गांव के कई लोग और छोटे किसान इस नीलामी के तरीके का विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि खुली बोली ने ज़मीन के दाम इतने बढ़ा दिए हैं कि स्थानीय, गरीब किसान अब इन पर खेती करने में असमर्थ हैं। उन्हें डर है कि अगर ऐसा ही चलता रह तो आसपास के इलाक़े की सभी जमीनों के ठेके बढ़ जायेंगे । कुछ लोग तो इस मामले को कोर्ट तक ले जाने की बात कह रहे हैं।
पिहोवा के एसडीएम कपिल शर्मा ने बताया कि यह पहली बार है जब किसी एक गांव की पंचायती ज़मीन से सरकार को डेढ़ करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पूरी नीलामी प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में पूरी तरह शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई।
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