Basmati rice export stuck : मध्य पूर्व में ईरान और इजरायल (Iran-Israel Conflict) के बीच चल रहे टकराव का सीधा असर अब भारत के कारोबार पर पड़ता दिख रहा है। खासकर बासमती चावल का निर्यात (Basmati Rice Export) पूरी तरह से ठप हो गया है। कई बासमती व्यापारियों के मुताबिक, ईरान को चावल भेजने वाले कंटेनर बंदरगाहों पर अटके पड़े हैं, और शिपमेंट की लागत (cost of shipment) पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। भारत से मिडिल ईस्ट को जाने वाला हर कंटेनर अब भारी भरकम माल ढुलाई शुल्क (freight charges) के साथ रवाना हो रहा है, जिससे न केवल करोबार में घाटा हो रहा है, बल्कि ऑर्डर भी होल्ड पर चले गए हैं।
वाणिज्य मंत्रालय ने बुलाई आपात बैठक
बदलते हालात को लेकर भारत सरकार भी सतर्क हो गई है। वाणिज्य मंत्रालय ने 20 जून को शिपिंग कंपनियों और कंटेनर संघों के साथ हाई लेवल बैठक की। मकसद साफ था — ये जानना कि ईरान-इजरायल संघर्ष और दूसरी Geopolitical Risks से भारत के ट्रेड पर कितना और किस तरह का असर पड़ सकता है। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि स्ट्रेट ऑफ होर्मुज जैसे अहम समुद्री रास्तों पर अभी हालात नियंत्रण में हैं, लेकिन एक छोटी चूक भी करोड़ों का नुकसान कर सकती है।
बंदरगाहों की चाल बिगड़ी, सामान फंसा
उद्योग से जुड़े जानकारों की मानें तो अगर ये इन दोनों देशों के बीच तनाव 23 जून के बाद भी जारी रहता है, तो ईरान का अहम बंदरगाह Bandar Abbas port रूस, CIS देशों और अफगानिस्तान तक कार्गो पहुंचाने की भारत की क्षमता पर बड़ा असर डाल सकता है। चाबहार पोर्ट की क्षमता बढ़ाने की मांग इसलिए जोर पकड़ रही है, ताकि एकमात्र विकल्प न रह जाए और कारोबारी विकल्पों के सहारे टिके रहें।
माल ढुलाई की लागत पहुंची आसमान पर
अब बात करें लागत की तो लाल सागर (Red Sea) के जरिए होने वाली Cargo Movement पर पहले से ही असर दिखने लगा है। जैसे-जैसे तनाव बढ़ा, वैसे-वैसे अकाबा, बेरूत और लताकिया जैसे पोर्ट्स तक पहुंचना महंगा और जोखिम भरा होता गया।
यही कारण है कि निर्यातकों (Exporters) ने अब जेद्दाह और अलेक्जेंड्रिया जैसे विकल्पी पोर्ट्स का रुख करना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, भारतीय बंदरगाह (Indian Ports) से यूरोप जाने वाले माल पर भी अब $1,000 प्रति टीईयू ((Twenty-foot Equivalent Unit)) तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
NEOM प्रोजेक्ट से उम्मीद, पर अनिश्चितता बरकरार
एक तरफ जहां सऊदी अरब में चल रही मेगा NEOM City Project के कारण भारत से एक्सपोर्ट में हल्की बढ़त देखने को मिली है, वहीं फारस की खाड़ी के हालात ने फिर से सभी उम्मीदों पर ब्रेक लगा दिया है। लगातार बदलती स्थिति के चलते निर्यातकों ने शिपमेंट्स को फिलहाल टाल दिया है। खरीदार भी फिलहाल इंतजार के मूड में हैं, जिससे बंदरगाहों पर माल फंसने और Demurrage charges बढ़ने की चिंता बढ़ गई है।
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