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क्या ₹2000 से अधिक के UPI लेनदेन पर लगेगा GST? सरकार ने किया साफ, जानिए सच्चाई!

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GST on UPI above 2000 News: पिछले कुछ दिनों से मीडिया और सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा था कि 1 मई 2025 से 2,000 रुपये से ज्यादा के UPI ट्रांजैक्शन पर GST लग सकता है। लेकिन अब आपको इस खबर को लेकर घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है ! क्योंकि वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) ने शुक्रवार को इन खबरों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। जिसमें UPI के जरिए डिजिटल भुगतान पर GST लगाने की बात कही गई हो। तो आखिर यह खबर कहां से आई? चलिए, विस्तार से जानते हैं।

अफवाहों पर वित्त मंत्रालय की स्पष्ट प्रतिक्रिया

वित्त मंत्रालय के अनुसार, UPI ट्रांजैक्शन पर GST लगाने से जुड़ी खबरें “पूरी तरह गलत और निराधार” हैं। मंत्रालय ने बताया कि वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के समक्ष नहीं है। दरअसल, GST केवल कुछ विशेष भुगतान साधनों पर लगने वाले ‘मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR)’ जैसे चार्जेस पर लागू होता है। लेकिन जनवरी 2020 से ही UPI के व्यक्ति-से-व्यापारी (P2M) लेनदेन पर MDR को हटा दिया गया है। इसलिए, अभी इन ट्रांजैक्शन्स पर GST लागू नहीं होता।

UPI का बढ़ता दायरा

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि UPI लेनदेन का मूल्य FY 2019-20 में 21.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2025 तक 260.56 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यानी पिछले 5 सालों में 12 गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी! यह उछाल सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ पहल और छोटे व्यापारियों को मिल रहे प्रोत्साहन का नतीजा है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक, UPI को बनाए रखने के लिए FY 2021-22 से एक प्रोत्साहन योजना चल रही है, जिसके तहत 2023-24 में 3,631 करोड़ रुपये दिए गए। पिछले साल यह रकम 2,210 करोड़ रुपये थी।

छोटे व्यापारियों को मिल रहा है फायदा

सरकार की योजना का मकसद छोटे व्यापारियों को डिजिटल भुगतान से जोड़ना है। इसके तहत कम मूल्य के UPI (P2M) ट्रांजैक्शन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे व्यापारियों का लेनदेन खर्च कम हुआ है और डिजिटल पेमेंट्स में नवाचार को बढ़ावा मिला है। वित्त मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि यह प्रोत्साहन योजना सरकार के “डिजिटल भारत” विजन को मजबूती देने का हिस्सा है।

क्या है सरकार का प्लान?

वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना उनकी प्राथमिकता है। GST जैसे टैक्स के बोझ के बिना UPI का विस्तार इसका सबूत है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में डिजिटल पेमेंट्स का बाजार 2027 तक 10 ट्रिलियन डॉलर को पार कर सकता है। ऐसे में सरकार की यह पहल न केवल आम जनता, बल्कि छोटे व्यवसायों के लिए भी वरदान साबित हो रही है।

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