Agriculture Tips: देश में मानसून की दस्तक के साथ ही खेतों में हलचल शुरू हो गई है। देश के कई हिस्सों में किसान खरीफ सीजन की बुवाई की तैयारियों में जुट गए हैं। मध्य प्रदेश के खरगोन जैसे इलाकों में कपास (Cotton), सोयाबीन (Soybean), मक्का और मिर्च जैसी प्रमुख फसलों की खेती जोर पकड़ रही है। ऐसे में उर्वरकों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है।
DAP की मारामारी, पर विकल्प भी हैं मौजूद
हमेशा की तरह इस बार भी डीएपी (DAP) की मांग सबसे ज़्यादा है। डीएपी के लिए समितियों पर किसानों की लंबी लाइनें इस बात का सबूत हैं कि डीएपी किसानों के लिए एक ‘आदत’ बन चुका है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि मार्केट में डीएपी से भी कारगर विकल्प मौजूद है , लेकिन किसानों में डीएपी को लेकर एक गलतफहमी बन गई है। ऐसे में किसान डDAP के पीछे हाथ धोकर पड़े रहते है।
खबरों की मानें तो कई सरकारी समितियों के पास सिंगल सुपर फास्फेट (Single Super Phosphate – SSP) जैसे उर्वरकों का भरपूर स्टॉक है, लेकिन किसान उनकी तरफ ध्यान ही नहीं दे रहे।
SSP: वैज्ञानिकों की नजर में डीएपी का बेहतरीन विकल्प
कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह का कहना है, “एसएसपी एक बेहद उपयोगी फॉस्फेट युक्त उर्वरक है, जिसमें 16% फास्फोरस के साथ-साथ सल्फर भी होता है। इसका असर पौधों की जड़ों से लेकर उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता तक पर साफ दिखता है।”
डॉ. सिंह बताते हैं कि सोयाबीन, कपास और मिर्च जैसी फसलों में एसएसपी (SSP fertilizer) का प्रयोग स्वाद, रंग और उत्पादन की गुणवत्ता को निखारता है।
जेब पर भी कम बोझ और खेत के लिए फायदेमंद
जहां डीएपी की एक बोरी किसानों को तक़रीबन ₹1350 से लेकर ₹1600 तक में पड़ती है, वहीं SSP मात्र ₹300 से ₹400 में ही आसानी से उपलब्ध है। यानि कम खर्चे में ज़्यादा असरदार उर्वरक मिल जाएगी ।
स्थानीय किसानों के अनुसार, “एसएसपी के इस्तेमाल से मिट्टी भी भुरभुरी रहती है, जबकि डीएपी के अधिक प्रयोग से खेत की मिट्टी सख्त होती जा रही है।”
मिट्टी की सेहत के लिए वरदान
कई जानकारों का मानना है कि उर्वरकों के लगातार एकतरफा उपयोग ने खेत की मिट्टी को नुकसान पहुंचाया है। SSP न केवल फसलों को पोषण देता है बल्कि मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बनाए रखता है।
एक किसान ने मीडिया के साथ अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि “हमने पिछले साल एसएसपी आजमाया था। उससे उसकी फसल का उत्पादन तो बढ़ा ही साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार देखने को मिला।”
कितना और कैसे करें SSP का उपयोग?
एसएसपी में सल्फर भी होता है, जो फसलों के स्वाद और रंग को सुधारने में मदद करता है। डीएपी में यह तत्व नहीं होता, जिससे पौधों की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। माना जा रहा है कि सल्फर की मौजूदगी फसलों को बीमारियों से भी बचाती है। डॉ. सिंह के अनुसार, किसानों को संतुलित मात्रा में खादों का प्रयोग करना चाहिए। वह सलाह देते हैं की :
- प्रति एकड़ 200 किलो SSP,
- 25 किलो पोटाश, और
- 140-150 किलो यूरिया का मिश्रण तैयार करें।
इस मिश्रण को चार बराबर हिस्सों में बांटकर समय-समय पर खेत में छिड़काव करें। इससे फसल को निरंतर पोषण मिलता रहेगा और जड़ों की मजबूती बनी रहेगी।
जाने! DAP और SSP में क्या अंतर है?
DAP (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) और SSP (सिंगल सुपर फॉस्फेट) दोनों फॉस्फोरस (P) प्रदान करने वाली प्रमुख खादें हैं, लेकिन इनकी संरचना, गुण और उपयोग में बड़ा अंतर है। नीचे टेबल के माध्यम से इनके मुख्य अंतर को समझ सकते है:
विशेषता | DAP (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) | SSP (सिंगल सुपर फॉस्फेट) |
---|---|---|
पूरा नाम | डाय-अमोनियम फॉस्फेट (Di-Ammonium Phosphate) | सिंगल सुपर फॉस्फेट (Single Super Phosphate) |
मुख्य उद्देश्य | फॉस्फोरस (P) और नाइट्रोजन (N) दोनों की आपूर्ति करना | फॉस्फोरस (P) और सल्फर (S) की आपूर्ति करना |
प्रमुख पोषक तत्व | N (नाइट्रोजन): 18% P (फॉस्फोरस P₂O₅): 46% | P (फॉस्फोरस P₂O₅): 16-20% S (सल्फर): 11-12% Ca (कैल्शियम): 19-22% |
N-P-K अनुपात | 18:46:00 (उच्च फॉस्फोरस वाला NP खाद) | 0:16:00 (मुख्यतः P और S, N नहीं) |
रासायनिक सूत्र | (NH₄)₂HPO₄ | Ca(H₂PO₄)₂ + CaSO₄.2H₂O (जिप्सम सहित) |
फॉस्फोरस की प्रकृति | जल में घुलनशील (Water Soluble) | जल में घुलनशील (Water Soluble) + साइट्रिक एसिड में घुलनशील |
अतिरिक्त लाभ | नाइट्रोजन की अच्छी मात्रा मिलती है। | सल्फर और कैल्शियम की अच्छी मात्रा मिलती है (मिट्टी की संरचना सुधारती है)। |
मिट्टी पर प्रभाव | थोड़ा क्षारीय (Alkaline) प्रभाव डालती है। | थोड़ा अम्लीय (Acidic) प्रभाव डालती है। |
उपयोग की सलाह | जहां N और P दोनों की कमी हो (धान, गेहूं, मक्का की शुरुआती अवस्था)। | जहां P और S की कमी हो, विशेषकर तिलहनी फसलें (सरसों, मूंगफली), दलहनी फसलें (चना, मटर) और कैल्शियम की जरूरत वाली मिट्टी। |
फायदा | उच्च पोषक सांद्रता, कम मात्रा में अधिक P की आपूर्ति। | सस्ती, सल्फर और कैल्शियम का अतिरिक्त स्रोत, मिट्टी के pH को संतुलित करने में मददगार (अम्लीय मिट्टी में)। |
नुकसान | महंगी, केवल S या Ca नहीं देती। | P की मात्रा DAP से कम होती है, अधिक मात्रा में डालनी पड़ती है। |
महत्वपूर्ण बिंदु | DAP = N + P (उच्च फॉस्फोरस) | SSP = P + S + Ca (सल्फर और कैल्शियम का बोनस) |
जाने कौन सी खाद कब चुनें?
- DAP चुनें अगर: आपकी मिट्टी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस दोनों की कमी है, आप कम मात्रा में अधिक फॉस्फोरस देना चाहते हैं (जैसे बुआई के समय बेसल ड्रेसिंग के लिए), और खर्च कर सकते हैं।
- SSP चुनें अगर: आपकी मिट्टी में फॉस्फोरस के साथ-साथ सल्फर या कैल्शियम की भी कमी है (खासकर तिलहन और दलहन फसलों के लिए), आप किफायती विकल्प चाहते हैं, या मिट्टी थोड़ी क्षारीय है (SSP का अम्लीय प्रभाव pH को संतुलित करने में मदद करता है)।
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किसान भाइयों के लिए सलाह
कभी भी खाद डालने से पहले मिट्टी की जांच (soil investigation) जरूर करवाएं। यह पता लगाने में मदद करेगी कि आपकी मिट्टी में वास्तव में किस पोषक तत्व की कमी है और DAP और SSP में से कौन सी खाद (या दोनों का संयोजन) आपके लिए और आपकी फसल के लिए अधिक फायदेमंद होगी। दोनों खादों का अपना-अपना महत्व है, चुनाव मिट्टी की जरूरत और फसल पर निर्भर करता है।
डिस्क्लेमर : इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता और शैक्षिक उद्देश्य के लिए प्रस्तुत की गई है। उर्वरकों के उपयोग से जुड़ा कोई भी निर्णय लेने से पहले कृपया स्थानीय कृषि विशेषज्ञों, कृषि विभाग अधिकारियों या प्रमाणित स्रोतों से परामर्श अवश्य लें। लेखक और वेबसाइट किसी भी प्रकार की क्षति या हानि के लिए उत्तरदायी नहीं हैं जो इस जानकारी के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उपयोग से उत्पन्न हो सकती है।
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