नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव के मद्देनजर केंद्र सरकार ने एक बड़े मॉक ड्रिल (सुरक्षा अभ्यास) का ऐलान किया है। 31 मई को गुजरात, पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता की परीक्षा ली जाएगी। यह अभ्यास आतंकवादी घुसपैठ, सीमा पार गोलीबारी, या प्राकृतिक आपदा जैसी स्थितियों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
क्यों हो रही है यह मॉक ड्रिल?
सूत्रों के अनुसार, इस ड्रिल का प्राथमिक उद्देश्य आतंकवादी घुसपैठ, सीमा पार से हमले, या अन्य आपात सुरक्षा परिदृश्यों के खिलाफ सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया क्षमता का परीक्षण करना है। अभ्यास में पुलिस, एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल), अर्धसैनिक बल और स्वास्थ्य विभाग जैसी एजेंसियों के बीच समन्वय की जाँच पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

ऑपरेशन सिंदूर
मई के प्रारंभ में जम्मू-कश्मीर के कठुआ-पून्छ क्षेत्र में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) ने आतंकवादियों के खिलाफ एक निर्णायक कार्रवाई के रूप में सुर्खियाँ बटोरीं। इस ऑपरेशन के बाद से ही सीमावर्ती राज्यों में सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। मॉक ड्रिल इसी कड़ी में तैयारियों की समीक्षा और कमियों को दूर करने का एक प्रमुख कदम है।
ड्रिल की रूपरेखा: क्या-क्या होगा शामिल?
- सिम्युलेटेड हमले:
- सेना और पुलिस बलों द्वारा आतंकवादी घुसपैठ के परिदृश्यों का सामना करना।
- नागरिक बचाव, चिकित्सा सहायता और यातायात नियंत्रण का अभ्यास।
- बहु-एजेंसी समन्वय:
- सभी एजेंसियों के बीच कम्युनिकेशन सिस्टम की प्रभावकारिता का परीक्षण।
- एनडीआरएफ की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध प्रोटोकॉल के अनुरूप बचाव प्रक्रियाएँ।
- जनता की भागीदारी:
- स्थानीय निवासियों को अलर्ट सिस्टम और सुरक्षित स्थानों पर जाने के निर्देश।

राज्यवार तैयारियाँ-कहाँ क्या होगा?
- जम्मू-कश्मीर: कठुआ और राजौरी सेक्टर में हाई-रिस्क ज़ोन पर फोकस।
- पंजाब: फ़िरोज़पुर और गुरदासपुर जैसे संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त बल तैनात।
- राजस्थान: थार रेगिस्तान में मोबाइल चेकपोस्ट और ड्रोन निगरानी।
- गुजरात: कच्छ के समुद्री तटों पर समन्वित नौसेना-कोस्ट गार्ड अभ्यास।
सुरक्षा विशेषज्ञों की राय
सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की सीमा पर लगातार तनाव और घुसपैठ की कोशिशों को देखते हुए ऐसे अभ्यास अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। जैसा कि गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर उल्लेखित है, ऐसी ड्रिल्स सुरक्षा प्रणालियों में “रियल-टाइम गैप्स” की पहचान करने में मदद करती हैं।
जनता के लिए सलाह
अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि ड्रिल के दौरान सीमावर्ती गाँवों/शहरों में अलर्ट रहना चाहिए। आपातकालीन नंबर (112/100) और स्थानीय प्रशासन के संपर्क सूत्र साथ रखें। ड्रिल से होने वाले यातायात व्यवधानों की भी पूर्व सूचना दी जाएगी।

निष्कर्ष: सतर्कता ही सुरक्षा की कुंजी
इस मॉक ड्रिल का आयोजन भारत की “प्रिवेंटिव डिफेंस” रणनीति का अहम हिस्सा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पर सक्रियता बढ़ाना और एजेंसियों के बीच रियल-टाइम कोऑर्डिनेशन सुनिश्चित करना, भविष्य की चुनौतियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है। जैसा कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “युद्ध न होने देना, युद्ध जीतने से बेहतर है।”