क्या भारतीय किसान अपने खेतों में बिना किसी सही जानकारी के अंधाधुंध कीटनाशक का छिड़काव करते आ रहे है। महाराष्ट्र के यवतमाल से लेकर तेलंगाना के वारंगल तक, हज़ारों कपास किसान हर साल फसल को बचाने के लिए कीटनाशकों की भरमार कर देते हैं। कभी सलाह के बिना, कभी अंदाज़े पर। नतीजा? ना सिर्फ बढ़ती लागत और घटता उत्पादन, बल्कि मिट्टी, हवा और किसानों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है ।
लेकिन अब यह तस्वीर बदल रही है। एक नई तकनीक अब कृषि जगत की हालत सुधारने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रही है। हम बात कर रहे है Wadhwani AI के ‘CottonAce’ प्रोग्राम की जो भारतीय खेतों तक तक पहुंच रही है। यह एक ऐसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक जो किसानों की भाषा में बात करती है, और खेतों की आवाज़ को समझती है। आइए जानते है इस AI तकनीक के बारे में विस्तार से…
क्या है Wadhwani AI तकनीक ?
वाधवानी एआई, एक गैर-लाभकारी संस्था, जिसकी नींव 2018 में भारतीय-अमेरिकी टेक उद्यमी (Tech Entrepreneur) रोमेश और सुनील वाधवानी ने रखी थी। इनका सपना था – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को सिर्फ बड़े शहरों के लिए नहीं, बल्कि खेतों के रास्ते किसानों तक पहुँचना ताकि किसान फसलों के उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार कर सके और खेती की लागत को घटा सके ।
इसी सोच के साथ Wadhwani AI ने CottonAce नामक एक AI आधारित प्रोग्राम की शुरुआत की जो किसानों को कृषि में उनको केवल उपयोगी जानकारी ही नहीं देता बल्की उन्हें समझकर उनका समाधान भी करता है।
CottonAce जहां कीटों की चाल AI से पकड़ी जाती है
कपास की खेती में सबसे ज़्यादा नुकसान पहुँचाने वाले दो दुश्मन – अमेरिकन बॉलवर्म और पिंक बॉलवर्म। CottonAce इनकी पहचान करता है, उनकी संख्या का सटीक आकलन करता है और किसान को यह बताता है कि कब, कितना, और कौन सा कीटनाशक (Pesticides) ज़रूरी है।
इस सिस्टम में लगे AI आधारित फेरोमोन ट्रैप्स की खासियत यही है – ये महज़ कीड़े पकड़ते नहीं, बल्कि खेत के मिज़ाज को पढ़ते हैं।
हज़ारों किसानों की बदली किस्मत
आज CottonAce, देश के 11 प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में 21,000 से ज़्यादा किसानों तक पहुँच चुका है। इसके प्रभाव की बात करें तो इस एआई तकनीक से
- कीटनाशकों का इस्तेमाल 20% तक घटा है
- और फसल का उत्पादन भी 10% से ज़्यादा बढ़ा है ।
राष्ट्रीय मान्यता (NPSS में हुई शामिल)
CottonAce की सफलता को देखते हुए भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने इसे नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम (NPSS) का हिस्सा बना लिया है। अब यह तकनीक सिर्फ कपास तक सीमित नहीं है । बल्की इसका धान, मक्का और मिर्च की फसलों में भी इसका इस्तेमाल शुरू हो गया है।
जब डेटा नहीं मिला, तो खुद जुटाया
Wadhwani AI को काम शुरू करते समय एक चुनौती का सामना करना पड़ा। भारत में कीटों और फसल बीमारियों से जुड़ा डेटा अधूरा था। तब उन्होंने खुद का डेटा कलेक्शन सिस्टम खड़ा किया। 2023 और 2024 में, उन्होंने खेतों से डेटा इकट्ठा कर AI मॉडल्स को प्रशिक्षित किया, जो आज किसानों की सेवा में हैं।
तकनीकी नवाचार सिर्फ कपास तक सीमित नहीं
CottonAce के अलावा Wadhwani AI ने कई और नवाचार किए हैं, जैसे:
- Grain Analyzer for Soybean — अनाज की गुणवत्ता की जांच के लिए
- Text-to-Voice और Voice-to-Text आधारित डेटा कलेक्शन
- AI चैटबॉट – Kisan e-Mitra
Kisan e-Mitra के ज़रिए किसान अब सरल हिंदी में जान सकते हैं , PM-KISAN योजना, फसल बीमा, किसान क्रेडिट कार्ड, और मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसी सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी, एक क्लिक में।
Case Study I CottonAce: AI for Indian Farmers
Advertisement