भोपाल — जब धरती प्यास से तप रही हो और किसान बादलों की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहा हो, तब हल्का सा बादल भी किसान के जीवन में एक नई उम्मीद की किरण जगा देता है। ऐसे में मध्यप्रदेश में एक ऐसा ही बदलाव धीरे-धीरे आकार ले रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अगुवाई में प्रदेश सरकार ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ के ज़रिए न केवल पानी बचाने की पहल कर रही है, बल्कि गांवों की धरती को दोबारा जीवन देने का वादा भी निभा रही है।
1 लाख कुओं को बारिश के पानी से रिचार्ज करेगी सरकार
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने मनरेगा योजना के तहत प्रदेश के 1 लाख से अधिक पारंपरिक कुओं को रिचार्ज करने का लक्ष्य तय किया है। अभियान में विशेष ‘कूप रिचार्ज पिट’ (डगवेल रिचार्ज विधि) यानी एक ऐसी संरचना बनाई जा रही है जिससे बारिश का पानी सीधे धरती की गोद में पहुंचे — जहां वह भूजल बनकर भविष्य को सुरक्षित कर सके। पत्थरों और रेत की परतों से तैयार ये रिचार्ज पिट 3 मीटर लंबा-चौड़ा और 8 मीटर गहरा होगा, जिससे पानी कुएं तक सरलता से पहुंच सके।
खंडवा में उम्मीद ने लक्ष्य को पीछे छोड़ा
यह अभियान मात्र कागज़ी योजना नहीं रह गई है। खंडवा जिले में तो स्थानीय लोगों ने सरकारी लक्ष्य से भी आगे बढ़कर रिचार्ज पिट्स का निर्माण कर दिखाया है। 75,000 से अधिक कुओं के पास पहले ही कार्य शुरू हो चुका है और ग्रामीणों का सहयोग इस बदलाव की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरा है।
गर्मी में सूखते कुएं अब रहेंगे भरे-पूरे
कूप रिचार्ज का असर सिर्फ जल स्तर पर ही नहीं, किसानों के जीवन पर भी दिखाई देगा। हर वह कुआं जो हर साल गर्मियों में सूख जाया करता था, अब उसे जीवनदान मिलेगा। सिंचाई के लिए पानी होगा, और पीने के लिए भी। एक नया आत्मविश्वास, जो खेती को सहारा देगा और गांव को नई रफ्तार।
30 मार्च से 30 जून तक चल रहा है अभियान
30 मार्च से शुरू हुआ यह अभियान 30 जून तक जारी रहेगा। इस दौरान केवल कुओं को ही नहीं, बल्कि पुराने जल स्त्रोतों का भी जीर्णोद्धार किया जा रहा है। खेत तालाब, चैक डैम, अमृत सरोवर और अन्य संरचनाओं के माध्यम से वर्षा जल को संरक्षित करने की कोशिश हो रही है।