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Sugarcane FRP Hike: केंद्र सरकार ने गन्ने के FRP में 15 रुपये की वृद्धि की घोषणा, किसानों को मिलेगा 355 रुपये प्रति क्विंटल

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 2025-26 के पेराई सीज़न के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (Sugarcane FRP) 15 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 355 रुपये कर दिया है। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट समिति (CCEA) ने लिया। नया दाम 1 अक्टूबर 2025 से शुरू होने वाली गन्ना खरीद पर लागू होगा। लेकिन सवाल यह है: क्या यह बढ़ोतरी उन किसानों के संघर्ष को कम कर पाएगी, जो महंगाई और बढ़ती लागत के बीच अपनी फसल का सही दाम पाने के लिए सड़कों पर उतरते रहे हैं?

क्यों खास है यह FRP बढ़ोतरी?
गन्ने का यह नया मूल्य 10.25% चीनी रिकवरी दर के आधार पर तय हुआ है। यानी, अगर मिलें 10.25% से ज़्यादा चीनी निकाल पाती हैं, तो किसानों को प्रति 0.1% वृद्धि पर 3.46 रुपये/क्विंटल का बोनस मिलेगा। वहीं, रिकवरी कम होने पर यही रकम कटेगी। हालाँकि, राहत की बात यह है कि 9.5% से कम रिकवरी वाली मिलों में भी किसानों को कम से कम 329.05 रुपये/क्विंटल तो मिलेंगे ही।

किसानों की मांग 450 रुपये!
सरकार का दावा है कि नया FRP उत्पादन लागत (A2+FL) (173 रुपये/क्विंटल) से 105% अधिक है। लेकिन उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों के किसानों की मांग इससे कहीं ऊपर है। यूपी में अगैती प्रजाति के गन्ने का SAP (राज्य परामर्श मूल्य) 370 रुपये है, जो FRP से ऊँचा तो है, पर किसान 450 रुपये की मांग को लेकर अड़े हैं। सवाल यह भी कि क्या अब राज्य सरकारें अपने SAP में भी बढ़ोतरी करेंगी?

राजनीति और गन्ने का गणित
देश के 5 करोड़ से अधिक गन्ना किसानों और 5 लाख चीनी मिल मज़दूरों की नब्ज़ पर हमेशा से राजनीति का दबाव रहा है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में तो गन्ना मूल्य चुनावी मुद्दा बन जाता है। फरवरी 2024 में चुनावों से पहले FRP बढ़ाने का फैसला भी इसी समीकरण का हिस्सा था।

क्या कहता है आंकड़ों का सच?
सरकार के मुताबिक, यह FRP पिछले सीज़न (340 रुपये) से 4.41% ज़्यादा है। लेकिन किसान संगठन गुस्से में हैं। उनका कहना है कि डीज़ल, उर्वरक और मज़दूरी की लागत में हुई भारी बढ़ोतरी के आगे यह बढ़ोतरी “उंट के मुंह में जीरा” के बराबर है।

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