Sarso Bhav Report 7 April 2025: नमस्कार किसान साथियों, पिछले हफ़्ते सरसों भाव में तेजी रही लेकिन आवक बढ़ने से आखरी दो दिनों में कीमतों पर असर देखने को मिला। पिछले हफ़्ते के सोमवार को जयपुर मंडी में सरसों कंडीशन का भाव 6,275 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर खुला और शनिवार को 6,300 रुपये पर बंद हुआ। पूरे सप्ताह मांग बने रहने के कारण 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़त दर्ज की गई। हालाँकि, मार्च के अंत में आवक में कमी से जो एकतरफा तेजी आई थी, वह अप्रैल की शुरुआत में धीमी पड़ गई। बाजार के जानकारों ने , अप्रैल के पहले सप्ताह में आवक बढ़ने से 100-150 रुपये तक की गिरावट का अनुमान लगाया था, जो आंशिक रूप से सही साबित हुआ।
कच्ची घानी में 200 रुपये प्रति क्विंटल और खल में 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट ने व्यापारियों को सतर्क कर दिया। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह गिरावट अस्थायी है, क्योंकि मार्च में सरसों की सप्लाई पिछले साल के मुकाबले 92% कम रही। इसके बावजूद, क्रशिंग का स्तर पिछले वर्ष के बराबर (15 लाख टन) रहा, जो बाजार में संतुलन बनाए रखने का संकेत देता है।
सरसों खल निर्यात: मार्च में जबरदस्त उछाल, लेकिन अब क्या?
मार्च महीने में सरसों डीओसी (खल) का निर्यात पिछले साल की तुलना में 96% बढ़कर 1.40 लाख टन पहुँचा। यह वृद्धि वैश्विक स्तर पर पशु आहार की मांग और भारतीय उत्पाद की गुणवत्ता के कारण देखी गई। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में टैरिफ विवादों के बढ़ते तनाव के चलते निर्यात की गति थम गई है।
कृषि व्यापारी और किसानों को अब सतर्क रहने की सलाह दी जा रही हैं। विश्लेषकों का मानना है कि खल की कीमतों में गिरावट (correction) आ सकती है, जो लंबी अवधि के निवेशकों के लिए खरीदारी का अच्छा मौका होगा। ध्यान रहे, फंडामेंटल्स अभी भी मजबूत हैं। इसलिए, गिरावट को घबराहट में बेचने की बजाय, रणनीतिक खरीद के नजरिए से देखें।
सरसों तेल: वैश्विक दबाव और स्थानीय सपोर्ट
जयपुर कच्ची घानी का भाव निचले स्तरों से 7-8 रुपये प्रति किलो बढ़कर 1,350 रुपये के करीब पहुँच गया था। लेकिन यह स्तर एक मजबूत रेजिस्टेंस साबित हुआ। वैश्विक स्तर पर सोया और पाम ऑयल की कीमतों में गिरावट ने भी सरसों तेल पर दबाव डाला। फिर भी, कच्ची घानी के 1,280 रुपये के स्तर पर लंबी अवधि के निवेशक सक्रिय हो सकते हैं।
विशेषज्ञों की सलाह है कि बाजार के “रुक-रुक कर बढ़ने” के ट्रेंड को समझें। यह पैटर्न तेजी को टिकाऊ बनाने में मदद करता है। भरतपुर सरसों ने भी 6,000 रुपये के स्तर को छुआ, लेकिन वहाँ टिक नहीं पाया। ऐसे में, स्टॉकिस्टों को गिरावट में घबराने की बजाय, धैर्य से काम लेना चाहिए।
निवेशकों के लिए अहम सुझाव: फंडामेंटल्स हैं मजबूत
मार्च में सरसों का स्टॉक पिछले साल के मुकाबले 7% कम रहा, जो आपूर्ति पर दबाव का संकेत देता है। वहीं, पीछे की रिपोर्ट में हमने बताया था कि मार्च की एकतरफा तेजी “अस्थिर” थी। अब बाजार संतुलन की ओर बढ़ रहा है।
निष्कर्ष यही है कि सरसों का लंबी अवधि का नजरिया अभी भी सकारात्मक है। गिरावट को समझदारी से खरीदारी के अवसर के तौर पर देखें। याद रखें, बाजार में उतार-चढ़ाव व्यापार का हिस्सा हैं, लेकिन फंडामेंटल्स में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। विश्वसनीय स्रोतों और विशेषज्ञ राय को ध्यान में रखकर ही निर्णय लें।
डिस्क्लेमर : हमने Sarso Bhav Report का ये विश्लेषण बाजार के ताजा रुझानों और विशेषज्ञों की राय के आधार पर तैयार किया है। हमारा मकसद है कि आपको सही समय पर सही जानकारी मिले, ताकि आप अपने नुकसान को कम कर सकें और फायदा उठा सकें। किसी भी प्रकार का व्यापार अपने ख़ुद के विवेक से ही करें किसी भी प्रकार के नफे या नुकसान की हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। धन्यवाद