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Repo Rate Cut : RBI जल्द करेगा दरों में कटौती, लोन और EMI हो जाएंगे सस्ते…जानिए आम आदमी पर क्या पड़ेगा असर

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नई दिल्ली — घर, गाड़ी या शिक्षा का सपना देख रहे लाखों भारतीयों के लिए आने वाली 6 तारीख़ को एक राहत भरी बड़ी खबर निकल कर आ सकती है। जी हाँ! भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में 0.50% की संभावित कटौती (Repo Rate Cut ) की अटकलें लगाई जा रही हैं। देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की रिपोर्ट ने इस अनुमान को मजबूती दी है।

अगर यह कटौती होती है, तो इसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ेगा। खासकर उन पर जो होम लोन या किसी भी प्रकार का लोन चुका रहे हैं। यही नहीं, इसका प्रभाव बैंक जमा यानी एफडी की ब्याज दरों (FD interest rates) पर भी दिखाई देगा।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक आज बुधवार 4 जून से शुरू हो चुकी है, इस बैठक में लिए जाने वाले फसलों की घोषणा 6 जून को सुबह 10 बजे RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा करेंगे । गौरतलब है कि इससे पहले फरवरी और अप्रैल महीने में रेपो रेट में 0.25-0.25 फीसदी की दो कटौतियां की जा चुकी है, जिसके बाद वर्तमान में रेपो रेट घटकर 6 फ़ीसदी पर आ गई है।

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Repo Rate क्या है, और क्यों है ये अहम?

Repo Rate उस ब्याज दर को कहा जाता है जिस पर बैंक, आरबीआई से कम समय के लोन (short term loan) लेते हैं। जब Repo Rate में कमी होती है, तो बैंकों के लिए पैसे उधार लेना सस्ता हो जाता है। जिसका फायदा बैंक अपने ग्राहकों को सस्ते लोन के रूप में देते हैं।

2025 की शुरुआत से अब तक 2 बार रेपो रेट में कटौती हो चुकी है, दोनों ही बार 0.25%-0.25% की कटौती की गई थी , जिससे कुल मिलाकर 0.50% की राहत मिल चुकी है। और अब, तीसरी बार 0.25 फ़ीसदी से लेकर 0.50 फ़ीसदी तक की कटौती कयास लगाए जा रहे है। यानी कुल मिलाकर 0.75 से लेकर 1 प्रतिशत की राहत इस साल में मिल सकती है।

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Repo Rate में कमी से कैसे कम होगी आपकी EMI? समझें

अगर आपके भी मन में ये सवाल उठ रहा है कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कटौती करने से ईएमआई में कमी कैसे मिलेगी? तो इसे समझने के लिए हम आपको तीन अलग-अलग लोन राशि और 20 साल की अवधि के उदाहरण लेकर समझाने का प्रयास कर रहे है, ताकि आप खुद आसानी से इसे आकड़ों के ज़रिए समझ सके।

2 लाख रुपये का लोन

लोन अवधि: 20 साल
ब्याज दर (अब): 7.9% → EMI: ₹1,660
ब्याज दर (0.5% कटौती के बाद): 7.4% → EMI: ₹1,599
बचत प्रति माह: ₹61

5 लाख रुपये का लोन

अवधि: 20 साल
ब्याज दर (अब): 7.9% → EMI: ₹4,151
ब्याज दर (0.5% कटौती के बाद): 7.4% → EMI: ₹3,997
बचत प्रति माह: ₹154

10 लाख रुपये का लोन

अवधि: 20 साल
ब्याज दर (अब): 7.9% → EMI: ₹8,302
ब्याज दर (0.5% कटौती के बाद): 7.4% → EMI: ₹7,995
बचत प्रति माह: ₹307

क्या EMI सबको बराबर मिलेगी राहत?

यह जरूर ध्यान देने वाली बात है कि रेपो रेट में कटौती के बावजूद सभी को एक जैसा फायदा नहीं मिलेगा। आपकी लोन की ब्याज दर आपके सिबिल स्कोर, बैंक की नीति, और लोन के प्रकार पर निर्भर करती है। कुछ बैंक रेपो रेट कटौती का लाभ पूरी तरह पास करते हैं, तो कुछ आंशिक रूप से।

इसके अलावा फिक्स्ड रेट लोन लेने वालों को इस कटौती से कोई तात्कालिक फायदा नहीं मिलेगा। फायदा केवल उन्हीं को मिलेगा जिनके लोन फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट (Floating interest rate) पर आधारित हैं।

फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट क्या होता है?

फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट (Floating Interest Rate) एक ऐसा ब्याज दर (interest rate) होता है जो समय-समय पर बदलता रहता है। यह दर बाजार की मौजूदा परिस्थितियों, खासकर RBI की रेपो रेट या किसी अन्य बेंचमार्क से जुड़ी होती है। जब रेपो रेट में बदलाव होता है, तो फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट भी उसी के अनुसार ऊपर या नीचे हो सकता है।

अगर आपने कोई लोन (जैसे होम लोन या पर्सनल लोन) फ्लोटिंग रेट पर लिया है, तो आपकी EMI स्थायी नहीं होती। जैसे ही RBI रेपो रेट घटाता है, बैंक भी ब्याज दर कम कर देते हैं, जिससे आपकी EMI घट जाती है। लेकिन जब RBI रेपो रेट बढ़ाता है, तो आपकी EMI भी बढ़ सकती है।

फ्लोटिंग रेट की मुख्य बातें:
मुख्य बातेंविवरण
लचीलापनब्याज दर समय के साथ घट या बढ़ सकती है
RBI की नीति से जुड़ामुख्यतः रेपो रेट या किसी बेंचमार्क रेट से लिंक होता है
EMI में बदलावEMI या लोन अवधि (tenure) समय के साथ बदल सकती है
फिक्स्ड रेट से सस्ताशुरू में अक्सर फिक्स्ड रेट से कम होता है
जोखिमदरें बढ़ने पर लोन महंगा हो सकता है

उदाहरण के टूर पर मान लीजिए आपने ₹10 लाख का होम लोन 7.9% फ्लोटिंग रेट पर लिया है। अगर RBI रेपो रेट में 0.50% की कटौती करता है और बैंक इसे आपके लोन पर लागू करता है, तो आपकी नई ब्याज दर 7.4% हो जाएगी, जिससे EMI घट जाएगी।

फ्लोटिंग रेट किसके लिए फायदेमंद?
  • जो लंबी अवधि का लोन ले रहे हैं (10-20 साल)
  • जो बाजार की गतिविधियों पर नजर रखते हैं
  • जिन्हें EMI में उतार-चढ़ाव से फर्क नहीं पड़ता

FD निवेशकों के लिए चिंता का विषय

जहां एक ओर लोन लेने वालों के लिए यह राहत की खबर है, वहीं एफडी यानी Fixed Deposit में निवेश करने वालों को थोड़ी निराशा हो सकती है। ब्याज दरें घटने से एफडी पर मिलने वाला रिटर्न भी कम हो सकता है। खासतौर पर बुजुर्ग निवेशकों के लिए यह चिंता का विषय बन सकता है।

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