चंडीगढ़: हरियाणा के किसानों के साथ एक बड़ा धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, यह आरोप भारतीय किसान एकता संगठन ने लगाया है। किसान संगठन द्वारा K Haryana यूट्यूब चैनल द्वारा एक वीडियों जारी कर इस घोटाले का पर्दाफ़ास किया गया है। वीडियो में लगाये आये आरोपों के मुताबिक़ कंपनी द्वारा नकली उर्वरक (Fake fertilizers) बेचकर लाखों रुपये की लूट की गई है। मीडिया की दी जानकारी के मुताबिक यह घोटाला एक निजी कंपनी “Phoenix Plants Lifesaver Pvt. Ltd.” (PPL) द्वारा अंजाम दिया गया है, जिसने हरको बैंक (हरियाणा स्टेट को-ऑपरेटिव एपेक्स बैंक) से जुड़ी प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (PACS) को Mono NPK 22:22:11 नामक उत्पाद की आपूर्ति की। लेकिन जब किसानों ने इन बैग्स को खोला, तो उनके हाथ सिर्फ पत्थर और राख लगी।
क्या है पूरा मामला?
इन बैग्स पर MRP 1280 रुपये अंकित था और “मोनो NPK 22:22:11” लिखा हुआ था, लेकिन न तो कंपनी और न ही कृषि विभाग ने स्पष्ट किया कि यह उत्पाद रासायनिक उर्वरक है या जैविक खाद। अगर यह रासायनिक उर्वरक होता, तो इस पर सरकारी सब्सिडी मिलनी चाहिए थी, जिससे इसकी कीमत कम होती। वहीं, अगर यह बायो फर्टिलाइज़र होता, तो उस पर स्पष्ट रूप से “बायो फर्टिलाइज़र” लिखा होना चाहिए था। लेकिन बैग पर ऐसा कुछ भी नहीं था।
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जब किसानों को शक हुआ, तो उन्होंने “भारतीय किसान एकता विक्की टीम” से संपर्क किया। जांच में पता चला कि यह उत्पाद हरियाणा के यमुनानगर, फतेहाबाद और रेवाड़ी जिलों की 300 से अधिक PACS को भेजा गया था। बड़ोपल गांव के चिंदड़ स्थित PACS केंद्र पर जब इसकी जांच की गई, तो पाया गया कि बैग्स में सिर्फ पत्थर जैसी राख भरी हुई है। प्राइवेट लैब टेस्ट में भी पुष्टि हुई कि इनमें नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P) या पोटैशियम (K) जैसा कोई पोषक तत्व नहीं है। यानी, किसानों को महंगे दामों पर बेचा गया उत्पाद पूरी तरह नकली था।
कैसे हुई यह धोखाधड़ी?
इस कंपनी ने भारत सरकार की “भारतीय जन उर्वरक योजना” के बैग्स की नकल करके एक फर्जी योजना का नाम “कृषि जन उर्वरक वितरण योजना” (Kirshi Jan Urvarak Vitran Pariyojna) लिख दिया। असली NPK बैग्स के डिजाइन और रंग की हूबहू नकल की गई, जिससे किसानों को यह विश्वास दिलाया जा सके कि यह सरकारी योजना का हिस्सा है।
इसके अलावा, बिलिंग बायो फर्टिलाइज़र के नाम पर 5% जीएसटी के तहत की गई, जबकि कंपनी के पास केमिकल फर्टिलाइज़र की ही परमिशन थी। यह एक सुनियोजित धोखाधड़ी थी, जिसमें टैक्स चोरी, किसानों की लूट और नकली उत्पाद बेचने का खेल शामिल है।
किसानों पर क्या असर पड़ा?
इस घोटाले का सीधा असर हजारों किसानों पर पड़ा है, जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से 1280 रुपये प्रति बैग के हिसाब से यह उत्पाद खरीदा। इतना ही नहीं, PACS और सेल्समैन को प्रति बैग 100-150 रुपये का कमीशन दिया गया, ताकि वे किसानों को इस नकली उत्पाद को खरीदने के लिए उकसाएं।
क्या होगा अगला कदम?
इस मामले को उजागर करने के बाद, किसान संगठनों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री से जांच की मांग की है। साथ ही, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी इसकी जानकारी दी गई है। मांग की गई है कि सीएम फ्लाइंग स्क्वॉड द्वारा नमूने लेकर उच्च स्तर पर जांच की जाए, ताकि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो सके।
न्यूज़ सोर्स : Youtube Channel “K Haryana” किसान संगठन कॉन्फ्रेंस वीडियो
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