नई दिल्ली: देश के करोड़ों किसानों की मेहनत का फल सीधे उन्हीं के हाथों में पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने एक ठोस कदम उठाया है। कृषि मंत्रालय ने अगले खरीफ सीजन (2025-26) से दलहन और तिलहन की MSP खरीद प्रक्रिया में बायोमेट्रिक फेस ऑथेंटिकेशन (Biometric Face Authentication) और पॉइंट ऑफ सेल (PoS) मशीनों के इस्तेमाल को अनिवार्य कर दिया है। यह फैसला उन व्यापारियों पर सख्त नकेल कसने के लिए है, जो अब तक किसानों के नाम पर सरकारी योजनाओं का फायदा उठा रहे थे।
असली किसान को मिलेगा पूरा लाभ
आधार अधिनियम, 2016 की धारा 7 के तहत लागू इस व्यवस्था का मकसद साफ है: “प्रधानमंत्री आशा योजना” (PM-AASHA) के तहत मिलने वाले एमएसपी और अन्य सहायता का लाभ सिर्फ वास्तविक किसानों को मिले। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “पहले बड़े व्यापारी किसानों के नाम पर अपना माल बेचकर लाभ ले लेते थे। अब बायोमेट्रिक सत्यापन से यह धांधली नहीं चलेगी।”
खरीद अवधि पर भी शिकंजा
वर्षों से MSP सिस्टम में यह शिकायत रही है कि व्यापारी खरीदी की आखिरी तारीखों में भारी मात्रा में उपज ले जाकर इसे किसान बताकर बेचते हैं। एक अधिकारी ने साफ कहा — “तेरहवें हफ्ते में खरीद का अचानक बढ़ना सामान्य नहीं होता, ये हेरफेर का साफ संकेत है।“
इसीलिए अब मंत्रालय ने खरीद की समयसीमा को 60 दिन तक सीमित करने का भी निर्णय लिया है। आपात स्थिति में इसे 30 दिन और बढ़ाया जा सकेगा, लेकिन 90 दिन से ज्यादा नहीं। पिछले अनुभवों के आधार पर यह कदम उठाया गया है।
कैसे काम करेगा नया सिस्टम?
- नेफेड और एनसीसीएफ जैसी एजेंसियां अब अपने पोर्टल (ई-समृद्धि, ई-संयुक्ति) को कृषि मंत्रालय के यूपीएजी पोर्टल से जोड़ेंगी।
- किसानों का रीयल-टाइम रजिस्ट्रेशन होगा और खरीद का हर डेटा तुरंत अपलोड किया जाएगा।
- ताजा उपज ही खरीदी जाएगी, ताकि बाजार में गुणवत्ता बनी रहे।
PM-AASHA सरकार की चुनौती
यह योजना निस्संदेह पारदर्शिता की दिशा में एक सराहनीय कदम है, लेकिन सवाल यह है कि दूरदराज के गांवों में टेक्नोलॉजी की पहुंच कैसे सुनिश्चित होगी? कृषि विशेषज्ञ डॉ. राजेश कुमार कहते हैं, “बायोमेट्रिक सिस्टम से भ्रष्टाचार घटेगा, लेकिन सरकार को ग्रामीण इलाकों में डिजिटल प्रशिक्षण पर भी ध्यान देना होगा।”
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