भारत-पाकिस्तान के बीच दशकों पुरानी सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) अब बीते कल की बात हो चुकी है। लेकिन इस संधि के टूटने के बाद, पानी की एक-एक बूंद आज कूटनीतिक बयान बन चुकी है। हरिके पत्तन और हुसैनीवाला हेड के गेटों को बदलकर पाकिस्तान की ओर बहने वाला सतलुज का पानी पूरी तरह से रोक दिया गया है। अब यह पानी भारतीय किसानों की प्यास बुझा रहा है, तो उधर पाकिस्तान के खेत बंजर होने लगे हैं।
हुसैनीवाला से बंद हुई वो धारा, जो कभी जीवन देती थी
हुसैनीवाला हेड, जो फिरोजपुर के नज़दीक स्थित है, वर्षों से सतलुज नदी को पाकिस्तान की ओर बहने देता था। रिपोर्ट्स के अनुसार, पहले यहां से हर रोज़ 4600 से 10,000 क्यूसेक पानी पाकिस्तान पहुंचता था, जिससे वहां की ज़मीनें सिंचित होती थीं। पर अब यह सिलसिला थम चुका है।
पंजाब सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लंबे समय से ये गेट पुराने हो चुके थे और कई जगह से पानी लीक हो रहा था। इसी पानी से पाकिस्तान के पंजाब में खेती होती थी। लेकिन अब नए गेट लगाकर इस लीकेज को पूरी तरह रोक दिया गया है। नतीजतन, सतलुज की धारा पाकिस्तान में धीरे-धीरे सूखने लगी है।
भारतीय किसानों को राहत, पाकिस्तान को चिंता
भारत के पंजाब में नहरी पानी की आपूर्ति सुधरने लगी है। जहां पहले किसान ट्यूबवेल से ज़मीन सींचने को मजबूर थे, अब वहीं नहरों का पानी उनके खेतों तक पहुंच रहा है। धान की रोपाई का मौसम शुरू हो चुका है और इस बार किसानों के चेहरे पर सुकून की झलक है।
यह बदलाव एक बड़ी कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें भारत अब अपने संसाधनों का अधिकतम लाभ खुद को देने की दिशा में बढ़ रहा है।
सतलुज: जो सीमाएं लांघती रही, अब रुक गई है
सतलुज नदी का मार्ग जटिल है। हरिके पत्तन और हुसैनीवाला हेड से निकलकर यह नदी भारत-पाक सीमा को कई जगहों पर पार करती है — पहले पाकिस्तान, फिर भारत के मुठियांवाली, और दोबारा पाकिस्तान में दाखिल होती है। इस बार-बार के प्रवेश-निकास के कारण पानी की निगरानी कठिन रही थी।
लेकिन अब, इस पूरी प्रणाली को भारत ने एक व्यवस्थित तरीके से नियंत्रित कर लिया है। सतलुज अब पाकिस्तान की ओर एक कतरा भी नहीं बहा रही है।
पाकिस्तान में मचा हाहाकार
पाकिस्तान के फाजिल्का के पास बने सुलेमान हेड से, वहां के पंजाब क्षेत्र को पानी की आपूर्ति होती थी। लेकिन जब से भारत ने सतलुज की धारा रोकी है, वहां की नहरें सूखने लगी हैं। कई गांवों में खेती ठप हो चुकी है, और हालात बद से बदतर होने की आशंका है।
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