हनुमानगढ़ के भाखड़ा नहर (Bhakra Canal) क्षेत्र में अब किसान खुद तय करेंगे कि उनकी नहरें कैसे चलें! जल संसाधन विभाग (Water Resources Department) ने जल उपयोक्ता संगमों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। किसानों की आवाज़ बुलंद करने वाले इन चुनावों (Farmers Elections) को लेकर गाँव-गाँव में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। अगस्त तक मतदाता सूचियाँ तैयार होनी हैं, जिसके बाद चुनावी दंगल पूरी तरह गर्मा जाएगा।
मतदाता सूची से लेकर चुनावी प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार
पहले चरण में 41 संगमों के अध्यक्ष पद के लिए वोटिंग होगी। 8 अगस्त तक प्रारंभिक मतदाता सूची जारी की जाएगी। 9 से 20 अगस्त तक नाम जोड़ने-हटाने का मौका मिलेगा, फिर 6 से 15 सितंबर तक मृतक मतदाताओं के नाम काटे जाएंगे। आखिरकार, 16 अक्टूबर तक अंतिम सूची बनकर चुनाव की राह पक्की हो जाएगी। विभाग ने हर चरण को लेकर स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं।
- 8 अगस्त तक: प्रारंभिक मतदाता सूची तैयार होगी।
- 9 से 20 अगस्त: आपत्तियों का निपटारा और नए मतदाता जोड़ने की प्रक्रिया चलेगी।
- 6 से 15 सितंबर: मृत मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाएंगे।
- 16 अक्टूबर तक: अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी जाएगी।
इसके बाद चुनाव कार्यक्रम की आधिकारिक घोषणा होगी। इन चुनावों की निगरानी और संचालन की जिम्मेदारी जल संसाधन खंड द्वितीय के अधीन मुख्य अभियंता द्वारा निर्देशित की गई है।
पति-पत्नी दोनों को वोट का अधिकार
इस बार चुनाव के नियमों में बड़ा बदलाव हुआ है! अब अगर परिवार का मुखिया पुरुष किसान है, तो उसकी पत्नी भी वोट डाल सकती है। वहीं, अगर महिला खुद खातेदार किसान है, तो उसके पति को भी मतदान का अधिकार मिलेगा। ये कदम महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सराहनीय कदम है। कहते हैं न, जल ही जीवन है, तो फिर इसके नियंत्रण में हर किसान की आवाज़ ज़रूरी है!
बीके-172 में पहली बार लड़ेंगे चुनाव
41 में से 40 संगम तो पहले ही चुनाव का अनुभव रखते हैं, लेकिन बीके-172 में यह पहला मौका है जब किसान अपना नेता चुनेंगे। इस नए अनुभभव को लेकर यहाँ के किसानों में खासा उत्साह है। राजस्थान सिंचाई प्रबंधन अधिनियम 2002 के तहत हो रहे इन चुनावों का मकसद साफ है – नहरों का संचालन अब स्थानीय किसानों के हाथों में हो !
चुनाव के बाद नहरों की कमान अध्यक्षों के हाथ
मुख्य अभियंता हरिसिंह के मुताबिक, चुनाव पूरी तरह स्वीकृत हो चुके हैं और मतदाता सूची तैयार करने के लिए टीमें मैदान में उतर गई हैं। जीतने वाले अध्यक्षों को नहरों के रखरखाव, पानी का वितरण और स्थानीय विवाद सुलझाने (Canal Management, Water Distribution, Local Governance) जैसे अहम काम सौंपे जाएंगे।
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