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Cotton Price: वैश्विक बाजार में आई गिरावट से घरेलू बाजार में कॉटन के दाम टूटे

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Cotton Price Today: वैश्विक मार्केट में आज कॉटन प्राइस में आई गिरावट के चलते घरेलू बाज़ार में स्पिनिंग मिलों (spinning mills) की मांग कमजोर होने के कारण उत्तर भारत के राज्यों के साथ ही गुजरात में भी कॉटन की क़ीमतों में गिरावट आई । देशभर की मंडियों में कपास की आवक 1,27,600 गांठ (एक गांठ-170 किलो) की हुई।

क्या है भाव

गुजरात के अहमदाबाद में आज मंगलवार को 29 शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 300 रुपये घटकर 57,400 से 57,800 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी 356 किलो) रह गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव आज 50 रुपये घटकर 5575 से 5625 रुपये प्रति मन बोले गए। जबकि हरियाणा में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 50 रुपये की गिरावट के साथ 5525 से 5625 रुपये प्रति मन बोले गए।

ऊपरी राजस्थान में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव आज 15 रुपये कमजोर होकर 5050 से 5775 रुपये प्रति मन बोले गए। जबकि खैरथल लाइन में कॉटन के दाम 25 रुपये नरम होकर 55,500 से 56,000 रुपये कैंडी (356 किलो) बोले गए।

कॉटन वायदा में बड़ी गिरावट

घरेलू वायदा बाजार MCX के साथ ही NCDEX पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में शाम को गिरावट का रुख रहा। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन के दाम शाम के सत्र में कॉटन की कीमतों में तीन अंकों की गिरावट दर्ज की गई। MCX पर आज कॉटन (Cotton Candy Price) का भाव  -680.00 रुपये (-1.13%) की गिरावट के साथ 59400 के लेवल पर आ गया। इससे पहले कल यह 60,080 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।

कीमतों में आई गिरावट का क्या कारण?

विश्व बाजार (world market) में कॉटन के दाम कमजोर होने के कारण घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों की खरीद कमजोर हो गई, जिस कारण उत्तर भारत के साथ ही गुजरात में कॉटन मंदी हो गई।

व्यापारियों के अनुसार विदेशी बाजार में महीने भर में कॉटन के दाम करीब 14 से 15 सेंट तेज हुए थे, अत: निवेशकों की मुनाफावसूली से इसकी कीमतों में आज तीन अंकों की बड़ी गिरावट आई है। यही कारण है कि घरेलू बाजार मिलों की खरीद कमजोर हो गई।

ज्यादा बड़ी गिरावट के नहीं आसार

हालांकि स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, तथा उत्पादक मंडियों में आगामी दिनों में कपास की दैनिक आवकों में कमी आयेगी। इसलिए हाजिर बाजार में कॉटन की कीमतों (cotton price) में बड़ी गिरावट के आसार कम है।

जानकारों के अनुसार कॉटन के साथ ही यार्न के निर्यात में पड़ते भी अच्छे लग रहे हैं, जबकि आगामी दिनों में उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक घटकर करीब एक लाख गांठ की रह जायेगी। मिलों को औसत एक से सवा लाख गांठ से ज्यादा कॉटन की खरीद करनी होगी, जबकि स्टॉकिस्ट एवं सीसीआई दाम घटाकर बिकवाली नहीं करेंगे।

किसानों (Cotton Farmers) के पास कपास का बकाया स्टॉक अब केवल 30 से 35 फीसदी ही बचा हुआ है। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में 31 जनवरी तक देशभर की मंडियों में 172.10 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो कपास की आवक हो चुकी है।

पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में दिसंबर अंत तक कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई 19.28 लाख गांठ कॉटन की खरीद कर चुकी है। अभी तक कुल खरीद में 80 फीसदी दक्षिण भारत के राज्यों से हुई है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई ने फसल सीजन 2023-24 के दौरान अपने कपास उत्पादन अनुमान को 294.10 लाख के पूर्व स्तर पर बरकरार रखा है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि फसल सीजन 2022-23 के दौरान देशभर में कॉटन का कुल उत्पादन 318.90 लाख गांठ हुआ था।

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