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चना किसानों को बड़ी राहत! सरकार ने विदेशी चने पर 10% आयात शुल्क लगाने का लिया निर्णय

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चना उत्पादक किसानों के एक राहतभरी खबर निकल कर सामने आ रही है। केंद्र सरकार ने चने पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने का निर्णय लिया है। दरअसल अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से आने वाले सस्ते चने की वजह से किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल पाता। ऐसे में 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने का मतलब साफ है की -अब ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से सस्ता चना भारतीय बाजारों में आसानी से नहीं आ पाएगा। यह कदम सीधे तौर पर हमारे अन्नदाताओं के हित में उठाया गया है, ताकि उनकी मेहनत का फल उन्हें उचित दाम पर मिल सके।

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देश में चने की बंपर पैदावार

इस साल देश में चने की बंपर पैदावार का अनुमान है। कृषि विभाग के अग्रिम आंकड़े बताते हैं कि उत्पादन 115 लाख मीट्रिक टन को पार कर सकता है, जो पिछले साल के 110 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले काफी बेहतर है। इस उपलब्धि में राजस्थान का योगदान अहम है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद, हमारा राज्य चना उत्पादन में तीसरे पायदान पर है। यहां करीब 17.7 लाख हेक्टेयर में चने की बुवाई होती है, जिसमें चूरू (3.2 लाख हेक्टेयर), जैसलमेर (1.2 लाख हेक्टेयर), हनुमानगढ़ (1.11 लाख हेक्टेयर) और चित्तौड़गढ़ (1 लाख हेक्टेयर) जैसे जिले अग्रणी हैं। उत्पादकता में टोंक जिला (1,860 किलो प्रति हेक्टेयर) सबसे आगे है, जबकि सवाई माधोपुर, कोटा, दौसा और गंगापुर सिटी भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।

क्यों जरूरी था यह कदम?

दरअसल, भारत में चने की मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर अक्सर आयात पर निर्भर करता था। सस्ते आयातित चने का दबाव घरेलू बाजार में दाम गिरा देता था, जिसका सीधा नुकसान हमारे किसानों को उठाना पड़ता था। इस विदेशी चने पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी से न केवल किसानों को उनकी फसल का ‘वाजिब दाम’ मिलने की उम्मीद बढ़ी है, बल्कि यह देश में दलहन उत्पादन बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत भी है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर उनकी लागत से 50% अधिक लाभ सुनिश्चित करने के सरकारी प्रयास को भी इससे बल मिलेगा। मसूर पर भी आयात शुल्क लगाया गया है, जिससे दलहन की खेती को समग्र रूप से प्रोत्साहन मिलेगा।

वैज्ञानिक नवाचार भी दे रहा साथ:

राजस्थान के किसानों के लिए एक और अच्छी खबर है। जोबनेर स्थित श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक नई चना किस्म ‘करण चना 20’ विकसित की है। यह किस्म देरी से बुवाई वाले किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। अक्सर, खरीफ फसलों की देरी से कटाई के चलते किसान चने की बुवाई समय पर नहीं कर पाते थे। ‘करण चना 20’ इस समस्या का कारगर समाधान लेकर आई है।

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देश में चना उत्पादन

भारत में चने का सबसे बड़ा उत्पादक मध्य प्रदेश है (पिछले साल लगभग 29.14 लाख टन), जहां की मध्यम भारी मिट्टी इस फसल के अनुकूल है। महाराष्ट्र दूसरे (28.36 लाख टन) और हमारा राजस्थान तीसरे स्थान (19.19 लाख टन) पर है। गुजरात और उत्तर प्रदेश भी टॉप-5 उत्पादक राज्यों में शामिल हैं। फिर भी, घरेलू मांग पूरी करने के लिए अभी भी ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से आयात पर निर्भरता बनी हुई थी।

चना उत्पादन में अग्रणी राज्य (पिछले वर्ष के आंकड़े)

रैंकराज्यउत्पादन (लाख मीट्रिक टन)
1मध्य प्रदेश29.14
2महाराष्ट्र28.36
3राजस्थान19.19
4गुजरात10.66
5उत्तर प्रदेश7.86

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