Retail Inflation Rate: देश के आम नागरिकों के लिए एक सुकून देने वाली खबर आई है। अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.16 फीसदी पर आ गई है, जो मार्च में 3.34 फीसदी थी। ये आंकड़े मंगलवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (MoSPI) द्वारा जारी किए गए। खास बात यह है कि यह दर जुलाई 2019 के बाद की सबसे कम वार्षिक महंगाई दर है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल महीने में हेडलाइन इंफ्लेशन में 18 बेसिस पॉइंट्स की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, खाद्य महंगाई (CFPI) दर घटकर सिर्फ 1.78 फीसदी रह गई है, जो एक साल पहले अप्रैल 2024 में इससे कहीं अधिक थी।
खाने पीने का सामान हुआ सस्ता
खासकर खाने-पीने की चीजों की कीमतों में नरमी ने उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है। सब्ज़ियां, दालें, फल, मांस-मछली, अनाज और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स—इन सभी श्रेणियों में महंगाई दर में कमी आई है।
अक्टूबर 2024 में जब खुदरा महंगाई 6 फीसदी के ऊपरी स्तर को पार कर गई थी, तब से लेकर अब तक यह नियंत्रण में बनी हुई है। इस वक्त खुदरा महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 2-6 फीसदी के “सहनशील दायरे” में बनी हुई है।
RBI की नीतियों ने दिखाया असर
पिछले कुछ वर्षों से दुनियाभर में महंगाई एक बड़ी चिंता रही है, लेकिन भारत ने अपने नीतिगत फैसलों से इसे काबू में रखने में सफलता पाई है। फरवरी 2025 में रिजर्व बैंक ने पांच साल में पहली बार रेपो रेट में कटौती की थी। हालांकि, अप्रैल की मौद्रिक नीति बैठक में इसे 6.5 फीसदी पर स्थिर बनाए रखा गया।
RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा का कहना है कि यदि मानसून सामान्य रहा, तो 2025-26 में सालभर की औसत CPI महंगाई दर 4 फीसदी के करीब रह सकती है। तिमाही अनुमानों के अनुसार:
- पहली तिमाही: 3.6%
- दूसरी तिमाही: 3.9%
- तीसरी तिमाही: 3.8%
- चौथी तिमाही: 4.4%
इन अनुमानों के साथ RBI ने स्पष्ट किया कि जोखिम फिलहाल “संतुलित” हैं, यानी बढ़ने और घटने दोनों की संभावनाएं बराबर हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 में खुदरा महंगाई दर
महीना | महंगाई दर (%) |
---|---|
अप्रैल | 4.83% |
मई | 4.75% |
जून | 5.08% |
जुलाई | 3.54% |
अगस्त | 3.65% |
सितंबर | 5.49% |
अक्टूबर | 6.21% |
नवंबर | 5.48% |
दिसंबर | 5.22% |
जनवरी | 4.31% |
फरवरी | 3.61% |
मार्च | 3.34% |
मार्च और अप्रैल 2025 में विभिन्न वस्तुओं की महंगाई दर
सामान | मार्च (%) | अप्रैल (%) |
---|---|---|
अनाज | 5.93% | 5.35% |
मीट और मछली | 0.32% | -0.35% |
दूध | 2.56% | 2.72% |
खाने का तेल | 17.07% | 17.42% |
फल | 16.27% | 13.80% |
सब्ज़ी | -7.04% | -10.98% |
दालें | -2.73% | -5.23% |
मसाले | -4.92% | -3.40% |
सॉफ्ट ड्रिंक्स | 4.01% | 4.40% |
पान, तंबाकू | 2.48% | 2.08% |
कपड़े, फुटवियर | 2.62% | 2.67% |
आम आदमी को क्या फायदा?
महंगाई में गिरावट का सीधा असर जेब पर पड़ता है। रोजमर्रा की ज़रूरतों के सामान, खासकर सब्ज़ी, दाल और अनाज जैसे उत्पादों की कीमतें काबू में हैं, जिससे मध्यम वर्ग को थोड़ी राहत मिल रही है। लंबे समय बाद जब खुदरा महंगाई 3% के करीब आई है, तो यह उम्मीद जगाती है कि अर्थव्यवस्था स्थिरता की दिशा में बढ़ रही है।
उम्मीदों की नई किरण
भारत में महंगाई की चाल फिलहाल संतुलित दिख रही है। अगर मानसून बेहतर रहा और अंतरराष्ट्रीय संकट नहीं गहराया, तो आम आदमी के खर्च पर नियंत्रण बना रह सकता है। सरकार और RBI की यह कोशिश, कि खुदरा महंगाई 4% के आसपास बनी रहे, फिलहाल सही दिशा में जाती दिख रही है।
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