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कृषि मंत्री ने लॉन्च की धान की जीनोम एडिटेड किस्में “DRR Dhan 100 और Pusa DST”, उत्पादन में होगी 30% की वृद्धि

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New Paddy Varieties: धान की खेती करने वाले किसानों के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को देश की पहली जीन-संपादित धान किस्में ‘DRR Dhan 100 (कमला)’ और ‘Pusa DST Rice 1’ को लॉन्च करते हुए कहा,  “आज का दिन भारतीय कृषि के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। ये नई किस्में जल्द ही किसानों तक पहुंचेंगी और उत्पादन में 20-30% तक की वृद्धि करेंगी।”

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इन किस्मों की मदद से जल की बचत और धान उत्पादन में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी कम किया जा सकेगा आईसीएआर (ICAR) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इन किस्मों को आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश समेत 12 राज्यों में उगाने की सिफारिश की गई है।

क्यों हैं ये किस्में खास?

इन्हें ‘संबा महसूरी’ और ‘कॉटनडोरा सन्नालु’ जैसी लोकप्रिय किस्मों के जीन्स में बदलाव कर बनाया गया है। नई किस्में सूखा सहने की अद्भुत क्षमता रखती हैं और पानी की खपत भी कम करती हैं। चौहान के मुताबिक, “कमला धान की फसल पहले से 20 दिन जल्दी (130 दिन में) पक जाएगी, जिससे किसान एक सीजन में दो फसलें ले सकेंगे।” हैरानी की बात यह है कि यह किस्म सिर्फ तीन सिंचाई में ही तैयार हो जाएगी!

  • 50 लाख हेक्टेयर में इन किस्मों की खेती से 45 लाख टन अतिरिक्त धान उत्पादन।
  • नाइट्रोजन का बेहतर उपयोग करने की क्षमता से खाद का खर्च घटेगा।
  • चावल की खेती से होने वाली ग्रीनहाउस गैसों में 20% तक कमी।

दाल-तेल के आयात पर लगाम जरूरी

मंत्री ने वैज्ञानिकों से दाल और तिलहन की उन्नत किस्में विकसित करने की अपील करते हुए एक नया फॉर्मूला भी पेश किया: *”5 मिलियन हेक्टेयर में धान की जगह दाल-तिलहन उगाएं, ताकि 10 मिलियन टन अतिरिक्त उत्पादन हो।”* उन्होंने याद दिलाया कि भारत अभी 48,000 करोड़ रुपये का बासमती निर्यात करता है, लेकिन पोषण सुरक्षा के लिए और शोध जरूरी है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

ICAR के डीजी मांगीलाल जाट ने इसे “जैव प्रौद्योगिकी की जीत” बताया। कृषि सचिव देवेश चौधरी ने जोर देकर कहा कि ये बीज जल्द ही सरकारी और निजी संस्थानों के जरिए किसानों तक पहुंचेंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकारा कि चीन और जापान जैसे देशों में ऐसी तकनीक पहले से मौजूद है, लेकिन भारत ने इसे किसानों की जरूरतों के अनुरूप ढाला है।

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