Mustard Market Futures 2025: सरसों बाजार में पिछले कई दिनों से शानदार तेजी बनी हुई थी और कीमते MSP के ऊपर कारोबार कर रही थी। पिछले हफ़्ते की बात करे तो शुरुआती चार दिनों में सरसों की कीमतों में हर रोज नया हाई लग रहा था। सरसों की बढ़ती कीमतों से किसान ख़ुश नजर आ रहा था, लेकिन किसान ये खुशी ज़्यादा दिन टिक नहीं पाई , ओर सरकारी नीतियों की सख्ती ने अचानक लास्ट के दो दिनों में ही बाजार की दिशा ही बदल दी है।
देश की अधिकांश मंडियों में सरसों का भाव अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5,950 रुपये प्रति क्विंटल को भी पीछे छोड़ते तकरीबन 400 रुपये की तेजी के साथ 6250 से 6400 रुपये प्रति क्विंटल तक चले गए थे । राजधानी दिल्ली और जयपुर जैसे प्रमुख केंद्रों में 42% तेल युक्त सरसों के भाव क्रमशः 6,600 रुपये और 6,765 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचे। आगरा में तो कीमतें 7,250 से 7,400 रुपये प्रति क्विंटल के बीच दर्ज की गईं।
सरसों की तेज़ी के पीछे के कारण
पिछले दिनों सरसों की कीमतों में आई इस अप्रत्याशित के पीछे दो प्रमुख वजह मानी जा रही है :
- कमज़ोर आवक और सीमित स्टॉक: पिछले साल के मुकाबले इस बार सरसों का कमजोर उत्पादन । इसका सीधा असर मंडियों में आने वाली आपूर्ति पर पड़ा। रोज़ाना की आवक पिछले साल से लगभग एक लाख बोरी तक घट गई, जो बाज़ार में क़िल्लत का अहसास पैदा कर रही थी। पिछले सीजन का बचा हुआ पुराना स्टॉक भी अब लगभग ख़त्म हो चुका है। आपूर्ति के इस संकट ने तेल मिलों और व्यापारियों की खरीदारी को बढ़ावा दिया।
- खुले बाज़ार का आकर्षण और डेरिवेटिव्स की मांग: चूंकि बाज़ार भाव एमएसपी से काफी ऊपर चल रहा था, किसान सरकारी खरीद केंद्रों की बजाय खुले बाज़ार में बेचना पसंद कर रहे थे, जिससे सरकारी खरीद में गिरावट आई। साथ ही, सरसों तेल के दामों में भी बढ़ोतरी हुई (आगरा में कच्ची घानी तेल 60 रुपये प्रति 10 किलो की वृद्धि के साथ 1,450 रुपये पर पहुंचा)। इसके अलावा, सरसों की खली (रेपसीड मील) की मांग, विशेषकर चीन जैसे देशों से, में भी सुधार देखा गया। तेल और खली की बढ़ती कीमतों ने सीधे तौर पर सरसों के दामों को भी ऊपर धकेला।
सरसों भाव में गिरावट का कारण
अब जान ले पिछले दो दिनों में सरसों भाव में आई 200-250 रुपये तक की इस बड़ी गिरावट की मुख्य वजह क्या रही। हालांकि, जैसे ही बाज़ार अपने चरम पर पहुंचने लगा, दो अहम सरकारी फैसलों ने सरसों के बाजार का रुख मोड़ दिया।
- आयात शुल्क में कटौती: सरकार ने कच्चे खाद्य तेलों के आयात शुल्क को 10% तक कम कर दिया। इसका मतलब था कि विदेशी खाद्य तेल भारतीय बाज़ार में सस्ते होकर आएंगे। इससे घरेलू तेलों, जिसमें सरसों तेल भी शामिल है, पर दबाव बनने की आशंका पैदा हुई।
- HAFED की बिकवाली: हरियाणा सहकारी विपणन फेडरेशन (HAFED) खुले बाज़ार में अपने पास मौजूद सरसों बेचने का मन बना रहा है । यह कदम बाज़ार में अतिरिक्त आपूर्ति का संकेत देता है, जिससे दामों पर नरमी का असर स्वाभाविक है ।
इन दोनों खबरों के बाज़ार पर तत्काल प्रभाव पड़ा। तेज़ी का रुख थमा और कई मंडियों में सरसों के भाव में एकाएक 200 से 250 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई। भरतपुर जैसी प्रमुख मंडी में भाव 6,391 से टूटकर 6,232 रुपये प्रति क्विंटल तक लुढ़क गए।
सरसों बाजार भविष्य: आगे की चाल क्या दिखती है?
इस उतार-चढ़ाव भरे सप्ताह के बाद, किसान और व्यापारी दोनों ही यह जानना चाहते हैं कि आगे का सरसों बाजार भविष्य क्या संकेत दे रहा है। विश्लेषकों की निगाहें अब इन बिंदुओं पर टिकी हैं:
- सरकारी बिकवाली का स्तर: HAFED किस मूल्य पर और कितनी मात्रा में सरसों बाज़ार में उतारेगी? यह आगे के भाव निर्धारण में अहम होगा।
- आयात शुल्क कटौती का असर: बाज़ार कितनी जल्दी इस खबर को ‘डाइजेस्ट’ कर पाता है? शुरुआती झटके के बाद असर कम होने की उम्मीद है।
- मांग का सिलसिला: गर्मियों का मौसम समाप्त होते ही खाद्य तेलों की घरेलू खपत में फिर से इजाफ़ा होने की संभावना है। यह सरसों तेल और फिर कच्ची सरसों की मांग को बनाए रख सकता है।
- आपूर्ति की स्थिति: मौजूदा सीमित आवक की स्थिति कब तक बनी रहती है, यह भी महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष:
सरसों बाजार ने इस सप्ताह जोरदार उछाल के बाद सरकारी हस्तक्षेप के कारण अपने ऊपरी लेवल से लगभग 250 रुपये तक की गिरावट देखने को मिली । हालांकि, बुनियादी कारक-जैसे सीमित आपूर्ति और घरेलू मांग-अभी भी मजबूत बने हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान गिरावट बड़े पैमाने की नहीं होगी और बाजार धीरे-धीरे स्थिर होकर आगे बढ़ सकता है। जिन किसान भाइयों को तत्काल नकदी की जरूरत है, वे मौजूदा स्तरों पर थोड़ी बहुत बिकवाली पर विचार कर सकते हैं। हालांकि, व्यापक तस्वीर में, सरसों बाजार भविष्य अभी भी सकारात्मक संकेत ही दे रहा है, बशर्ते सरकारी बिकवाली का प्रभाव सीमित रहे। व्यापारियों और किसानों दोनों को अगले कुछ दिनों में सरकारी निर्णय और बाजार के सेंटीमेट पर बारीकी से नजर रखने की आवश्यकता होगी। व्यापार अपने ख़ुद के विवेक से करें।