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Wheat Prices 2025: क्या गेहूं में इस साल भी तेजी आएगी या बंपर उत्पादन से किसानों की उम्मीदों पर फिरेगा पानी ?

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Wheat Prices 2025 : इस साल किसानों के चेहरे पर मुस्कान और बाजार में गेहूं के दामों में गिरावट की खबरें साथ-साथ चल रही हैं। कृषि मंत्रालय (Ministry of Agriculture) से लेकर अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों तक, सभी की रिपोर्ट एक ही बात कह रही हैं – 2025 में गेहूं की बंपर पैदावार होने वाली है। पर सवाल यह है कि क्या इस साल भी किसानों को पिछले साल की तरह 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक का भाव मिल सकेगा ?

कृषि मंत्रालय और USDA का अनुमान

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, इस साल देश में 115.43 मीट्रिक टन गेहूं पैदा होने की उम्मीद है। यह आंकड़ा पिछले साल के 113.29 मीट्रिक टन से अधिक है। अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) ने भी भारतीय गेहूं उत्पादन को 115 मीट्रिक टन बताया है। दिल्ली की एक प्रमुख आटा चक्की के मालिक ने बताया, “इस बार फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बेहतर हैं। मौसम ने साथ दिया, इसलिए उत्पादन शुरुआती अनुमानों से 10% अधिक है।”

APMC मंडियों में क्यों गिर रही हैं कीमतें?

1 मार्च से 7 अप्रैल तक, एगमार्कनेट के आंकड़ों के अनुसार, देशभर की APMC मंडियों में 41.82 लाख टन गेहूं की आवक हुई, जो पिछले साल इसी अवधि में 26.49 लाख टन थी। आवक बढ़ने का सीधा असर दामों पर पड़ा है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में गेहूं का भारित औसत मूल्य (WAP) इस साल ₹2,499 प्रति क्विंटल है, जबकि कुछ मंडियों में यह MSP ₹2,425 से भी नीचे चल रहा है। दिल्ली की मिलें अभी ₹2,500 प्रति क्विंटल पर गेहूं खरीद रही हैं, लेकिन महाराष्ट्र और यूपी के किसानों को MSP से कम कीमत मिलने की शिकायतें भी सामने आई हैं।

क्या कहता है बाजार का ट्रेंड?

नई दिल्ली के एक कृषि व्यापार विश्लेषक के मुताबिक, “इस बार गेहूं का स्टॉक पिछले साल से 4 मिलियन टन अधिक है। अगर सरकार खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी रखे, तो बाजार में स्थिरता बनी रहेगी।” वहीं, दक्षिण भारत के एक मिल मालिक ने चिंता जताई, “रेलवे वैगनों की कमी के कारण परिवहन लागत बढ़ रही है। इससे दक्षिणी राज्यों के कारोबारियों को प्रति क्विंटल ₹200-300 अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं।”

उत्तर प्रदेश में गेहूं के की स्थिति

यूपी की स्थिति इस सबसे अलग है। राज्य सरकार द्वारा निजी व्यापारियों को गेहूं खरीदने से रोकने के कदम से बाजार में नाराजगी है। बिंदकी और गोपीगंज जैसी मंडियों में कीमतें ₹2,350 प्रति क्विंटल तक गिर चुकी हैं। एक उद्योग सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “पिछले साल चुनावों के चलते सरकार ने निजी खरीद पर रोक नहीं लगाई थी, लेकिन इस बार सरकार 15 मई तक अधिकतम गेहूं खरीदने की कोशिश की जा रही है।”

FCI की भूमिका

भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने 7 अप्रैल तक 18.96 लाख टन गेहूं खरीदा है, जो पिछले साल की तुलना में 60% अधिक है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में किसानों को क्रमशः ₹175 और ₹150 प्रति क्विंटल का बोनस देने से खरीद प्रक्रिया तेज हुई है। FCI अब MSP का भुगतान 1-2 दिनों में कर रहा है, जिससे किसानों को तुरंत पैसा मिल रहा है।

हालांकि सरकार और किसानों के लिए यह साल उम्मीदों भरा है, लेकिन कुछ सवाल अभी भी बने हुए हैं। व्यापार जगत सरकारी उत्पादन आंकड़ों को लेकर आशंकित है और इसे 100 मीट्रिक टन के आसपास आंक रहा है। वहीं, पंजाब-हरियाणा में बैसाखी के बाद कटाई तेज होने से उत्पादन में 10% की बढ़ोतरी की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मांग और आपूर्ति का संतुलन बना रहा, तो उपभोक्ताओं को सस्ता गेहूं मिलेगा, लेकिन किसानों के लिए MSP सुनिश्चित करना सरकार की बड़ी चुनौती होगी।

क्या गेहूं इस बार 3000 का आंकड़ा छू पायेगा?

अब सबसे बड़ा सवाल जो किसानों के जहन में उठ रहा है वो ये है की क्या इस बार भी गेहूं का दाम पिछले साल की तरह 3000 के आंकड़े को पार कर लेगा? तो किसान साथियो जैसा की मीडिया रिपोर्ट में खबरें छापी जा रही है उनके मुताबिक़ इस बार देश में गेहूं के बंपर पैदावार होगी। ऐसे में सप्लाई चेन के सुचारू रूप से बने रहने की संभावना है। जिस कारण पिछले साल जैसी तेजी (3300) बनना तो मुमकिन नहीं लग रहा । परंतु गेहूँ की MSP में बढ़ोतरी के कारण 3000 के आसपास कीमते पहुँच सकती है । अब उत्पादन कितना बढ़ेगा ये देखना दिलचस्प होगा उसी के बाद कीमतों को लेकर और बेहतर अनुमान लगाया जा सकेगा।

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