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क्या ट्रंप के टैरिफ से सरसों 7000 के पार जाएगी ? जाने कितने है तेजी के आसार इस साप्ताहिक रिपोर्ट में

Jagat Pal

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सरसों बाजार का हाल: किसान साथियों, सरसों की कीमतों में पिछले कुछ दिनों से हलचल देखने को मिल रही है, मंडियों में भी इस समय सरसों की आवक घटी जबकि भाव बढ़े है। क्या इस तेजी के पीछे ट्रंप के टैरिफ (Trump’s tariff) का हाथ है या कुछ और कारण है ? कृषि विशेषज्ञों का इस पर क्या कहना है? आने वाले दिनों में सरसों की चाल पर मौसम, निर्यात मांग और सरकारी खरीद जैसे कारकों पर निर्भर करेगी ? आइए इन सब पर एक नज़र डालें…

पिछले सप्ताह की बात करें तो सरसों बाजार (Mustard Price) ने एक बार फिर निवेशकों और किसानों का ध्यान खींचा । सोमवार को जयपुर कंडीशन सरसों का भाव 6275-6300 रुपये प्रति क्विंटल खुला जो शनिवार शाम को 6425 रुपये पर पहुंच गया था, यानी सरसों में बीते हफ्ते के दौरान लगभग 150 रुपये की बढ़त रही । ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये तेजी आगे भी जारी रहेगी?

सरसों भाव सप्ताहभर का रुझान

जयपुर सरसों ने इस सप्ताह 150 रुपये की छलांग लगाते हुए 6425 रुपये प्रति क्विंटल का स्तर छू लिया। बाजार के जानकार इसे एक “तत्काल रेजिस्टेंस लेवल” की तरह देख रहे हैं। अप्रैल के पहले सप्ताह में हुए करेक्शन के बाद, पिछली रिपोर्ट में हमने खरीदारी की सलाह दी थी, जो सही साबित हुई। अगर भाव 6425 रुपये को पार करता है, तो अगला लक्ष्य 6600 रुपये तक पहुंचना संभव है। हालाँकि, किसानों का सीधा मंडी बिक्री पर जोर (MSP के करीब भाव के कारण) और छोटे मीलों की मुश्किलें इस उछाल को संतुलित कर सकती हैं।

कच्ची घानी में तेजी की उम्मीद

जयपुर में कच्ची घानी का भाव पिछले सप्ताह 1 से 1.5 रुपये प्रति किलो बढ़ा, लेकिन मांग की कमी ने तेजी पर ब्रेक लगा दिया। फिलहाल, इसमें 2-3 रुपये से ज्यादा की बढ़त की गुंजाइश नजर नहीं आ रही। विश्लेषकों का मानना है कि अगर कच्ची घानी 1350 रुपये प्रति क्विंटल के प्रतिरोध स्तर को तोड़ती है, तो लंबी अवधि में यह और मजबूत हो सकती है। पर अगले 2-3 हफ्तों तक सीमित दायरे में ही कारोबार रहने की संभावना है।

सरसों खल निर्यात

सरसों खल की कहानी इस सप्ताह दिलचस्प रही। मार्च के अंत में चीन ने भारतीय खल की खरीद बढ़ाई, खासकर कनाडा पर केनोला टैरिफ बढ़ने के बाद। इससे निर्यात मांग में जबरदस्त उछाल आया। लेकिन पिछले 7 दिनों में डिमांड सुस्त पड़ी है, जिससे भाव स्थिर हुए हैं। कारोबारियों को लगता है कि अप्रैल-मई में मांग ठंडी रहेगी, लेकिन जून से फिर बाजार गर्म हो सकता है।

सरसों के भाव बढ़ेंगे?

सरसों की दैनिक आवक घटकर अब 5-6 लाख बोरी रह गई है, जो पिछले महीने के मुकाबले 20% कम है। इसके बावजूद, तेल मिलों और स्टॉकिस्टों की मांग ने भाव को संभाला हुआ है। कृषि विशेषज्ञ डॉ. राजेश शर्मा के अनुसार, “सरसों की आपूर्ति में कमी और निर्यात संभावनाएं इसे दिवाली तक 7000 रुपये प्रति क्विंटल तक ले जा सकती हैं। किसानों को सलाह है कि वे करेक्शन के दौरान खरीदारी को अवसर समझें।”

सरकारी एजेंसियों ने इस सीजन में अब तक 8 लाख टन सरसों खरीदी है, जो पिछले साल के मुकाबले 15% ज्यादा है। इससे MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के आसपास भाव स्थिरता मिली है। किसान अब अपना माल सीधे मंडियों में बेचकर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर सरकारी खरीद यही रफ्तार रखती है, तो सरसों को दिवाली तक 10-12% की बढ़त मिल सकती है।

दिवाली तक मिलेगा मुनाफा
बाज़ार के जानकारों के मुताबिक सरसों का बाजार फिलहाल धीरे-धीरे अपने पंख फैला रहा है। छोटे-छोटे उतार-चढ़ाव आएंगे, लेकिन दीर्घकालिक नजरिया मजबूत बना हुआ है। किसानों और व्यापारियों को सलाह है कि वे स्टॉक होल्ड करें और करेक्शन के दौरान खरीदारी बढ़ाएँ। जैसे-जैसे दिवाली नजदीक आएगी, सरसों की चमक बढ़ने के आसार है । फिलहाल, बाजार की हर चाल पर नजर बनाये रखें – क्योंकि यही समय है समझदारी से कदम बढ़ाने का!

डिस्क्लेमर : हमने ये विश्लेषण बाजार के ताजा रुझानों और विशेषज्ञों की राय के आधार पर तैयार किया है। ये हमारा निजी विश्लेषण है। हमारा मकसद है कि आपको सही समय पर सही जानकारी मिले, ताकि आप अपने नुकसान को कम कर सकें और व्यापार में लाभ उठा सकें। किसी भी प्रकार का व्यापार अपने ख़ुद के विवेक से ही करें, किसी भी प्रकार के नफे या नुकसान की हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। धन्यवाद

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