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Onion Price: क्यों नहीं मिल रहे किसानों को प्याज के सही भाव ? जानें “कमाई” की जगह “चिंता” का कारण ?

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Agriculture News: क्या आपने कभी सोचा है कि रसोई की इस “लाल सोना” कही जाने वाली प्याज की कीमतें (Onion Price) सरकारी फैसलों के बाद भी इतनी अप्रत्याशित क्यों रहती हैं? 22 मार्च को केंद्र सरकार ने 19 महीने बाद प्याज के निर्यात शुल्क (Export Duty) को हटाने का ऐलान किया, और 1 अप्रैल से इस फैसले को लागू किया गया। इस फ़ैसले ने किसानों को वो राहत नहीं दी जिसकी उम्मीद थी। चलिए, इस पूरे मामले को विशेषज्ञों के नजरिए और ताज़ा आंकड़ों से समझते हैं।

भारत में प्याज की बंपर फसल

महाराष्ट्र के नासिक और पुणे से प्याज की नई फसल की मंडियों में बंपर आवक हो रही है । फ्रेशप्लाज़ा.कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, गर्मियों की फसल की रिकॉर्ड पैदावार के चलते भारत में प्याज की उपलब्धता पिछले 5 सालों के मुकाबले 22% अधिक है। महाराष्ट्र स्थित कथरानी एक्सपोर्ट्स के निर्यातक अनिल कथरानी बताते हैं, “इस साल मौसम ने साथ दिया, इसलिए न केवल उत्पादन बढ़ा बल्कि कीमतें भी स्थिर रहीं। पर यही समस्या की जड़ है – ज्यादा सप्लाई ने कीमतों को इतना नीचे धकेल दिया कि किसानों को लागत भी नहीं निकल पा रही।”

पाकिस्तानी प्याज का विदेशों में दबदबा

विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल प्याज बाजार में भारत की सबसे बड़ी चुनौती पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से आई है। पाकिस्तान में भी प्याज की बंपर फसल हुई है, जिससे श्रीलंका, मलेशिया और खाड़ी देशों जैसे पारंपरिक बाजारों में भारतीय प्याज की मांग 35% तक घट गई है। कथरानी आगे बताते हैं, “पाकिस्तानी प्याज की कीमतें हमसे 10-15% कम हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय खरीदार उनकी तरफ रुख कर रहे हैं।” स्थिति यह है कि भारत का निर्यात पिछले साल के 4.7 लाख टन के मुकाबले इस साल अब तक सिर्फ 2.1 लाख टन ही रहा है।

मलेशिया-इंडोनेशिया के प्रतिबंध: निर्यातकों पर डाल रहे दोहरा दबाव

अगर आप सोच रहे हैं कि सिर्फ पाकिस्तान ही चुनौती है, तो जरा इंडोनेशिया और मलेशिया की तरफ भी देखिए। इंडोनेशिया ने अभी तक नए आयात परमिट जारी नहीं किए हैं, जबकि मलेशिया सरकार ने 1 मई 2025 से कंटेनर लोड को 25 मीट्रिक टन तक सीमित कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब निर्यातकों को एक ही शिपमेंट के लिए पहले से दोगुने कंटेनर चाहिए, जिससे माल ढुलाई की लागत 40% तक बढ़ने का अनुमान है। कथरानी चिंता जताते हुए कहते है कि, “इन प्रतिबंधों से छोटे निर्यातकों के लिए व्यापार करना मुश्किल हो जाएगा।”

देशभर की मंडियों में प्याज का भाव

गुजरात की मंडियों में प्याज का भाव (9 अप्रैल 2025)

मंडी का नामन्यूनतम भाव अधिकतम भावमॉडल प्राइस
अहमदाबाद70014001250
आनंद100020001500
अंकलेश्वर120015001300
भावनगर5601305935
भुज100018001400
बिलिमोरा150020001800
दाहोद20015001000

बिहार में प्याज का भाव (9 अप्रैल 2025)

मंडी का नामन्यूनतम भावअधिकतम भावमॉडल प्राइस
बाराहाट260030002800
जहाझारपुर240026002500
जयनगर380040003900
ताजपुर210022002200

हरियाणा में प्याज का भाव (9 अप्रैल 2025)

मंडी का नामन्यूनतम रेट अधिकतम रेट मॉडल प्राइस
अंबाला81015801250
बहादुरगढ़100020001500
बरवाला150015001500
छछरौली90030001700
गनौर240025002500
गोहाना100025001200
गुडगांव100020001500

यूपी की मंडियों में प्याज का भाव (9 अप्रैल 2025)

मंडी का नामन्यूनतम भावअधिकतम भावमॉडल प्राइस
अलीगढ़150016501580
इलाहाबाद165017001685
अमरोहा150016201570
आनंदनगर220024002300
बलिया158016501620
बाँदा133014801400
बांगरमऊ175018501800
बाराबंकी170018001750
बड़ौत160017501680
बरेली175018001780

क्या प्याज की कीमतें में आगे है तेजी के आसार ?

कृषि विशेषज्ञ डॉ. राजेश्वरी सिंह के अनुसार, “इस साल प्याज का उत्पादन 254 लाख टन होने का अनुमान है, जो घरेलू मांग से 18% अधिक है। हालांकि, मॉनसून के अनिश्चित पूर्वानुमान और भंडारण सुविधाओं की कमी के चलते अक्टूबर तक कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।” सरकार ने हालांकि 2024-25 के लिए 1.5 लाख टन बफर स्टॉक बनाए रखने का फैसला किया है, लेकिन किसानों को तत्काल राहत के लिए निर्यात बाजारों तक पहुंच सुनिश्चित करना होगा।

निर्यात शुल्क हटाने में देरी से नुक़सान

प्याज पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क हटाने में देरी ने किसानों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया

क्या है समधान?

कहते हैं “किसान की फसल और बाजार का भाव, दोनों ही कभी भरोसे के नहीं होते।” यह कहावत आज गुजरात के दाहोद से लेकर महाराष्ट्र तक के प्याज किसानों की हालत बयां कर रही है। सरकारी नीतियां और बंपर फसल अकेले किसानों की तकदीर नहीं बदल सकतीं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा, रसद की बढ़ती लागत और मौसमी अनिश्चितताएं इस समस्या के मूल में हैं। जरूरत इस बात की है कि किसानों को सीधे वैश्विक बाजारों से जोड़ने के लिए ठोस बुनियादी ढांचा विकसित किया जाए।

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