दोस्तों! हरदा से लेकर रायसेन तक, खेतों में खड़ी मूंग की लहराती फसलों ने इस बार किसानों की चिंता बढ़ा दी हैं। मध्य प्रदेश में इस साल ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई ने रिकॉर्ड तोड़ बताई जा रही है। इस बार आंकड़ों के मुताबिक तकरीबन 10.21 लाख हेक्टेयर से भी अधिक रकबे में मूंग की खेती की गई है। लेकिन किसानों के चेहरों पर संतोष की जगह चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। जिसकी मुख्य वजह ” मूंग की MSP पर खरीदी को लेकर सरकार की खामोशी” है ।
किसानों ने केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उइके को दिया ज्ञापन
गौरतलब है कि हरदा जिले में मूंग की कीमतों को लेकर किसान पिछले कुछ दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की मांग को लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री उईके ने कहा “किसानों ने उन्हें ज्ञापन दिया है। जिसमे मूंग की खरीदी एसएसपी पर करवाने की बात कही गई हैं। किसानों की मांग को लेकर उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि जो बेस्ट हो सकेगा, वह करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि इस बारे में मुख्यमंत्री मोहन यादव व केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मैं बात करूंगा”
MSP पर मूंग खरीदी को लेकर असमंजस
अगर साल 2024 की बात करें तो इस समय तक एमएसपी पर मूंग खरीदी के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया पूरे जोर पर थी। लेकिन इस साल, जून का पहला हफ्ता बीत चुका है लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई अधिसूचना या दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए है । ऐसे में अब किसानों की उम्मीदें भी टूटने लगी है।
हरदा, नर्मदापुरम, सीहोर, विदिशा और रायसेन जैसे मूंग उत्पादक जिलों में हर रोज सैकड़ों किसानों का एक ही सवाल है कि आख़िर -“पंजीकरण कब शुरू होगा?” लेकिन किसी के पास अभी तक इसका कोई जवाब नहीं है । राज्य के कृषि विभाग (Agriculture Department) के अधिकारी खुद मानते हैं कि केंद्र को प्रस्ताव भेजने की अनुमति तक उन्हें नहीं मिली है।
उत्पादन व एमएसपी में उछाल, लेकिन कीमतों में गिरावट
राज्य के 16 जिलों में मूंग की इस साल भरपूर पैदावार होने की संभावना है। अनुमान लगाया जा रहा है कि कुल उत्पादन 20 लाख टन के आसपास रहेगा। मीडिया रिपोर्ट्स में जारी आंकड़ों के मुताबिक इस बार इन 16 जिलों में पिछले साल 9.89 लाख हेक्टेयर के मुक़ाबले 10.21 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग की खेती की गई है। लेकिन उत्पादन में बढ़ोतरी के बावजूद किसान मायूस ही नज़र आ रहे है ।
केंद्र सरकार द्वारा सभी खरीफ फसलों के एमएसपी में विपणन वर्ष 2025-26 के लिए बढ़ोतरी की गई है। सरकार द्वारा इस बार मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹8,768 प्रति क्विंटल तय किया है , जो की पिछले साल (2024-25) के मुक़ाबले ₹86 अधिक है ।
लेकिन बावजूद इसके मध्य प्रदेश की मंडियों में किसानों को मूंग का भाव सिर्फ ₹6,000 से लेकर ₹6,500 प्रति क्विंटल के आसपास ही मिल पा रहा है। एमएसपी और मंडी भाव की बात करे तो कीमतों में तकरीबन 2,000 से 2,500 रुपये तक का अंतर साफ़ देखा जा रहा है। ऐसे में इस बार मूंग की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बन गई है।
राजनीतिक चुप्पी और किसानों की तकलीफ
यह मामला सिर्फ एक फसल या एक सीज़न का नहीं है, यह उन लाखों परिवारों की रोज़ी-रोटी से जुड़ा है जो मूंग की खेती पर निर्भर हैं। इस साल सरकार की तरफ से केंद्र को प्रस्ताव न भेजना और किसानों को एमएसपी का लाभ न मिलना, प्रशासनिक असंवेदनशीलता का उदाहरण बन गया है।
यह सवाल अब गूंजने लगा है—क्या किसानों की मेहनत का मोल सिर्फ आंकड़ों तक ही सीमित रह गया है?
अब किसान तो कुछ कर नहीं सकता वो तो चुपचाप बैठकर केवल सरकार के आदेश का इंतज़ार ही कर सकता है की, सरकार उसकी फसल की सुध लेगी या नहीं। अगर MSP पर सरकार मूंग की खरीद शुरू कर देती है! तो किसान को उसकी फसल का भाव उसकी उम्मीद के अनुसार मिल जाएगा। वरना कोड़ियों के भाव तो फसल को मंडियों में बेचने को मजबूर होना ही पड़ेगा।
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