हनुमानगढ़ : राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में खरीफ फसलों की बुआई अपने चरम पर है। बीटी कपास की नाजुक कोंपलों ने पहली सिंचाई के बाद खेतों में हरियाली देना शुरू कर दी है। लेकिन इस बीच, किसानों के साथ खाद और बीज विक्रेताओं (Fertilizer and seeds sellers) द्वारा शोषण की ख़बरें सामने आ रही है । जी हाँ जिले में किसान द्वारा यूरिया-डीएपी खाद ख़रीदने पर दूसरे उत्पाद जबरदस्ती थोपे जा रहे है। जो की किसानों के साथ सरासर अन्याय है।
किसान हो रहे शोषण के शिकार
बीज, खाद और कीटनाशकों की खरीद को लेकर कई किसान संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन को शिकायतें सौंपी हैं। इन शिकायतों के अनुसार उर्वरक (यूरिया, डीएपी) केवल तभी बेचे जा रहे हैं जब किसान विक्रेता द्वारा बताए गए अन्य उत्पाद भी खरीदें।
कुछ विक्रेता तो किसानों से साफ कह देते हैं की “यदि अन्य उत्पाद नहीं खरीदेंगे तो यूरिया/डीएपी नहीं देंगे ।” ऐसे में खेती कर रहे किसान जबरन महंगे और अनावश्यक उत्पाद खरीदने को मजबूर हो जाते हैं। यह न केवल अनुचित व्यावसायिक दबाव है, बल्कि किसानों की आजीविका और आत्मनिर्भरता पर भी सीधा हमला है।
कृषि विभाग ने अपनाया सख्त रुख
कृषि विभाग ने अब ऐसे मामलों पर सख्ती दिखाते हुए एक निर्णायक दिशा में कदम बढ़ाया है। संयुक्त निदेशक (विस्तार) डॉ. प्रमोद कुमार द्वारा जारी निर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि कोई भी विक्रेता किसान को उर्वरक के साथ अन्य उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।
यदि किसी भी विक्रेता के ख़िलाफ़ ऐसी “टेगिंग” (Tagging) यानी जबरदस्ती अन्य उत्पाद बेचने की शिकायत मिलती है तो उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी ।
विभाग का संदेश साफ है:–
“उत्पादों की बिक्री केवल किसानों की मांग के आधार पर ही की जाए। अनावश्यक रूप से अन्य उत्पाद बेचने या बिल न देने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।”
पक्का बिल अनिवार्य
सभी कृषि विक्रेताओं के लिए प्रत्येक बिक्री की पक्की रसीद देना अब अनिवार्य कर दिया गया है। किसानों को रसीद की प्रति दी जाएगी और उसकी हस्ताक्षरित कॉपी विक्रेता के पास रखी जाएगी ताकि भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में सबूत रहे।
कृषि विभाग की इस पहल से किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है। जिससे वे अपनी जरूरत के मुताबिक उत्पाद खरीद सकेंगे और उन पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं आयेगा ।
बीटी कपास में कीट नियंत्रण को लेकर भी दिशा-निर्देश
हनुमानगढ़ जिले में इस समय बीटी कपास की फसल के लिए गुलाबी सुंडी एक बड़ी चुनौती है। विभाग ने इस संदर्भ में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।
केवल उन्हीं कीटनाशकों की बिक्री की अनुमति दी गई है, जिन्हें फसलवार सिफारिश के अंतर्गत विभाग ने मान्यता दी है। साथ ही, फेरोमोन ट्रैप की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने और किसानों को इनके प्रयोग के लिए प्रेरित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
किसान भी होना होगा जागरूक
किसानों के साथ आए दिन किसी ना किसी प्रकार के शोषण की खबरें सुनने को मिलती ही रहती है। कभी नक़ली बीज तो कभी नकली पेस्टीसाइड तो भी अन्य दूसरे तरीकों से धोखाधड़ी की। ऐसे में किसान ख़ुद जब तक जागरूक नहीं होगा तब तक प्रशासन या कृषि विभाग अकेले कुछ नहीं कर सकेंगे। किसान को जरूरत है ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ खुल कर आवाज़ उठाने की । किसान को ऐसे दुकानदारों का एकजुट होकर बहिष्कार कर देना चाहिए ताकि कोई भी दुकानदार उस इलाके में फिर ऐसा कोई काम करने की सोच भी ना सके।
किसान को ये बात अच्छे से समझ लेनी चाहिए सामान की जरूरत उसको अकेले की नहीं है बल्कि किसान के दम पर कारोबार करने वाली कंपनियों, कृषि विक्रेताओं , आड़तियों को किसान से भी ज़्यादा ज़रूरत है। क्योंकि किसान तो फिर भी मेहनत करके कुछ ना कुछ तो उगा कर अपने परिवार को दो वक्त की रोटी खिला ही लेगा। लेकिन किसान के दम पर ये AC की ठंडी हवा में बैठकर खाने वाले क्या करेंगे। इसलिए बिना डरे एकजुट होकर देखों आधे से ज़्यादा व्यापार माफिया ख़ुद ब ख़ुद ही ख़त्म हो जाएँगे।
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