Punjab-Rajasthan Water Dispute: जून का महीना, जब खरीफ की फसलों को पानी की सबसे ज्यादा दरकार होती है, ऐसे में राजस्थान के हनुमानगढ़ और आसपास के इलाकों के किसानों को अपनी बोयी हुई फसलों को मुरझाते हुए देखने को मजबूर होना पड़ रहा हैं। जिसका वजह पड़ोसी राज्य पंजाब है। दरअसल पंजाब की मनमानी का आलम ये है कि BBMB द्वारा प्रतिदिन 2500-2500 क्यूसेक पानी के बंटवारे के बावजूद , पंजाब 3000 क्यूसेक पानी ले रहा है जबकि बीकानेर कैनाल में राजस्थान को RD 45 से 723 क्यूसेक पानी ही मिल रहा है। ऐसे में राजस्थान के किसानों की फसलें चौपट हो रही है।
पंजाब-राजस्थान पानी विवाद बीबीएमबी नियमों की खुली अवहेलना
यह कोई प्राकृतिक विपदा नहीं, बल्कि पंजाब-राजस्थान का शेयर 2500 क्यूसेक के नियम की खुली अवहेलना है। जून में दोनों राज्यों को हरियाणा के भाखड़ा नांगल प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा प्रतिदिन 2500-2500 क्यूसेक पानी आवंटित किया गया था। लेकिन जमीनी हकीकत चौंकाने वाली है। पंजाब ने अपने हिस्से से कहीं अधिक, लगभग 3000 क्यूसेक पानी, पुरानी ईस्टर्न नहर में डायवर्ट कर लिया।
जबकि राजस्थान को उसकी जीवनरेखा, बीकानेर नहर में, आरडी 45 (राजस्थान-पंजाब बॉर्डर के पास) पर मात्र 723 क्यूसेक पानी ही मिल पा रहा है। यह आंकड़ा उनके हक के आधे से भी कम है।
किसानों को 9 दिन में कभी नहीं मिला पूरा पानी
दिन | आया पानी (क्यूसेक) | कम मिला पानी (क्यूसेक) |
---|---|---|
07 जून | 1599 | 901 |
08 जून | 1509 | 991 |
09 जून | 1419 | 1081 |
10 जून | 1420 | 1080 |
11 जून | 1210 | 1290 |
12 जून | 1031 | 1469 |
13 जून | 1061 | 1439 |
14 जून | 1031 | 1469 |
15 जून | 702 | 1798 |
पंजाब के हरे खेत और राजस्थान के सूखते ख्वाब
इस अन्याय का सीधा असर खेतों पर पड़ रहा है। पंजाब में जहां धान की रोपाई का काम जोरों पर है और खेत लहलहा रहे हैं, वहीं राजस्थान में नवजात फसलें बिना पानी के झुलस रही हैं। किसानों का आक्रोश सड़कों पर उतर आया है।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसानों ने हाल ही में आरडी 45 का दौरा किया। वहां का नज़ारा उनके गुस्से को और हवा देने वाला था। बीकानेर नहर के तीन गेटों में से एक तो टूटा हुआ और पूरी तरह बंद पड़ा था, जबकि अन्य दो से सिर्फ 380 क्यूसेक पानी ही छोड़ा जा रहा था। इसके ठीक सामने पंजाब की ईस्टर्न नहर में 3000 क्यूसेक से अधिक पानी बहता देखकर किसानों का धैर्य जवाब दे गया। प्रधानमंत्री और राजस्थान के मुख्यमंत्री के पुतले फूंककर उन्होंने अपना विरोध दर्ज किया।
सेवानिवृत्त अधिकारी का दावा: हर साल दोहराया जाता है अन्याय
“मेरा 1990 से अब तक का अनुभव कहता है कि 10 जून से 31 जुलाई तक बीकानेर नहर में कभी पूरा पानी नहीं मिला,” कहते हैं रविंद्र मोहन जसूजा, सिंचाई विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी। “इसका कारण साफ है – यह वही समय है जब पंजाब के फिरोजपुर फीडर क्षेत्र में धान की रोपाई होती है और वहां के किसानों को भारी मात्रा में पानी चाहिए होता है। वे हमारा हिस्सा ले लेते हैं।”
जसूजा जी समाधान की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, “एकमात्र रास्ता यही है कि बीकानेर नहर के खखां हैड पर सटीक गेज लगाए जाएं और इसी गेज के आधार पर हमें हमारा निर्धारित हिस्सा दिया जाए। बिना पारदर्शिता के यह समस्या हल नहीं होगी।”
किसान आंदोलन की आहट: ट्रेन रोको और चक्काजाम की तैयारी
हालात की गंभीरता को देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने बड़े आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। 17 जून से ट्रेन रोको और चक्काजाम जैसे कड़े कदम उठाने की योजना बनाई जा रही है। किसान नेता आरोप लगाते हैं कि सरकार उन्हें उनका जायज हक दिलाने में पूरी तरह विफल रही है। कांग्रेस के स्थानीय विधायक और कार्यकर्ता भी इस आंदोलन में किसानों के साथ खड़े होने का ऐलान कर चुके हैं। पुलिस ने भी संभावित धरना स्थलों पर बैरिकेडिंग शुरू कर दी है, जो आने वाले दिनों में तनाव के बढ़ने का संकेत देता है।
अस्थायी राहत: फिर भी नहीं मिला पूरा हक
स्थिति की तात्कालिकता को देखते हुए किसान नेताओं ने राजस्थान के प्रमुख शासन सचिव अमरजीत सिंह मेहरड़ा से संपर्क किया। उनकी पहल पर बीबीएमबी सचिव और पंजाब सिंचाई विभाग के मुख्य सचिव से बातचीत हुई। इसके बाद बांधों से पानी का प्रवाह बढ़ाकर बीकानेर नहर में पानी को 723 क्यूसेक तक पहुंचाया गया। हालांकि, यह मात्र एक अस्थायी राहत है, जो किसानों के हक के 2500 क्यूसेक से अभी भी कोसों दूर है।
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