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तुर्किये से सेब आयात पर रोक की तैयारी, हिमाचली किसानों को मिलेगा बड़ा फायदा, PM मोदी को चिट्ठी लिखकर की ये मांग

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शिमला मई 16,2025। शिमला की वादियों में इस बार सेब की मिठास कुछ खास हो सकती है। कारण है—तुर्किये (Turkey) से भारत में होने वाले सेब के आयात (Import of apples) पर संभावित रोक। केंद्र सरकार के इस फैसले की खबर जैसे ही सामने आई, हिमाचल के बागवानों के चेहरे खिल उठे। वर्षों से अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा (International competition) से जूझते इन किसानों (Farmers) के लिए यह बदलाव एक बड़ी राहत बनकर आया है।

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हर साल भारत में तुर्किये से एक लाख टन से अधिक सेब आयात होते हैं। इनका मुकाबला सीधे हिमाचल के प्रीमियम क्वालिटी के सेब (Premium quality apples) से होता है। लेकिन विदेशी टैग और सस्ती कीमतों के कारण अक्सर खरीदार हिमाचली सेब को नजरअंदाज कर देते हैं। इससे न सिर्फ किसानों को नुकसान होता है, बल्कि उनके लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है।

आयात के आँकड़े और बढ़ती मार

यदि बीते कुछ वर्षों पर नजर डालें, तो तुर्किये से सेब के आयात में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। साल 2015-16 में जहां सिर्फ 205 टन सेब भारत आया था, वहीं 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.17 लाख टन हो गया। यह वो वक़्त था जब हिमाचल के सेब को अपने ही देश में पहचान के लिए संघर्ष करना पड़ा।

बागवानों का कहना है कि साउथ एशियन फ्री ट्रेड एरिया (SAFTA) के तहत तुर्किये समेत कुछ अन्य देशों से बिना शुल्क सेब भारत आता है। यही वजह है कि विदेशी सेब देश के बाजार में सस्ती कीमतों में पहुंच जाते हैं, जिससे हिमाचल के किसानों को उचित दाम नहीं मिल पाते।

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देखें साल दर साल तुर्किये से सेब का कितना आयात (टन में) हुआ

वर्षतुर्किये से सेब आयात (टन में)
2015-16205 टन
2016-173,636 टन
2017-187,430 टन
2018-1916,028 टन
2019-2032,290 टन
2020-2143,674 टन
2021-2293,901 टन
2022-231,07,220 टन
2023-241,17,663 टन

पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर की ये मांग

संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान कहते हैं, “हिमाचल का सेब किसी भी इम्पोर्टेड सेब से कम नहीं, लेकिन लोगों की सोच में बदलाव जरूरी है। विदेशी सेब को ब्रांड समझा जाता है, और हमारे मेहनती किसानों के फल को नजरअंदाज किया जाता है।”

कई किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री तक अपनी आवाज पहुंचाई है। हाल ही में ‘हिमालयन सेब उत्पादक सोसायटी’ ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर तुर्किये से सेब के आयात पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि जब पाकिस्तान के साथ तनाव के समय तुर्किये ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया, तब भारत को भी अपने किसानों की पीड़ा समझते हुए जवाब देना चाहिए।

5 हजार करोड़ की खेती को राहत की आस

हिमाचल की अर्थव्यवस्था में सेब की हिस्सेदारी लगभग 5 हजार करोड़ रुपये की है। प्रदेश के आठ जिलों में सेब की खेती होती है, जिनमें शिमला, कुल्लू, मंडी और किन्नौर प्रमुख हैं। अकेले शिमला में ही 70 फीसदी सेब का उत्पादन होता है।

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विदेशी आयात की बाढ़ से स्थानीय किसानों की कमर टूटने लगी थी। लेकिन अगर आयात पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो न सिर्फ उनकी आमदनी बढ़ेगी, बल्कि हिमाचली सेब को वह पहचान भी मिलेगी जिसकी वह वर्षों से हकदार है।

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