Amritsar-Jamnagar Expressway: राजस्थान के रेतीले इलाकों में बसी चूरू ज़िले की तस्वीर अब बदलने वाली है। जिस ज़िले को अब तक दूरस्थ और सीमावर्ती मानकर नज़रअंदाज़ किया जाता था, वह अब देश के सबसे महत्त्वाकांक्षी बुनियादी ढांचे अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे से जुड़ने जा रहा है। भारतमाला परियोजना के इस आधुनिक राजमार्ग से चूरू को देश की मुख्यधारा से जोड़ने की तैयारी पूरी रफ़्तार पर है।
चूरू को मिलेगा राष्ट्रीय राजमार्ग से सीधा संपर्क
चूरू ज़िला अब अकेला नहीं रहेगा। अब यहां से देश के चार बड़े राज्यों हरियाणा, पंजाब, गुजरात और राजस्थान की दूरी सिमटने जा रही है। 917 किलोमीटर लंबे इस सिक्स लेन एक्सप्रेसवे (Six lane expressway) का निर्माण अंतिम चरण में है, और साल के अंत तक यह सपना साकार होने जा रहा है।
इस आधुनिक सड़क परियोजना के तहत एक्सप्रेसवे हनुमानगढ़ के संगरिया से प्रवेश करेगा और बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर होते हुए जालौर के सांचौर तक पहुंचेगा। इसी मार्ग में चूरू भी शामिल है, जिससे यह रेगिस्तानी ज़िला अब भारत के उत्तर और मध्य भाग से सीधे जुड़ेगा।
व्यापार, पर्यटन और रोज़गार को मिलेगा बढ़ावा
इस हाईवे से केवल गाड़ियाँ नहीं दौड़ेंगी, बल्कि चूरू के अवसर भी रफ़्तार पकड़ेंगे। यहाँ के स्थानीय व्यापारी अब देश की बड़ी मंडियों तक सीधे पहुँच पाएंगे। कृषि उत्पादों की ढुलाई आसान होगी, और रेगिस्तान की खूबसूरती को देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी इज़ाफ़ा होगा।
इस प्रोजेक्ट के तहत करीब 650 किलोमीटर का मार्ग थार रेगिस्तान से होकर गुजरेगा, जिससे थळी अंचल यानी पश्चिमी राजस्थान के कई क्षेत्रों को राहत मिलेगी। इससे पंजाब और गुजरात की यात्रा में लगने वाला समय भी घटेगा।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और स्थानीय उम्मीदें
इस अहम विकास पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “भारतमाला परियोजना के अंतर्गत चूरू का जुड़ाव सिर्फ एक भौगोलिक कड़ी नहीं, बल्कि क्षेत्र के लिए एक नई आर्थिक और सामाजिक दिशा है। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जो चूरू को देश के हृदय से जोड़ेगी।”
नई राहों की ओर बढ़ता चूरू
जहाँ एक ओर शहरीकरण का चेहरा महानगरों तक सीमित माना जाता रहा है, वहीं अब चूरू जैसे सीमावर्ती ज़िले भविष्य की विकास गाथा में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे न केवल दूरी कम करेगा, बल्कि मन की दूरियाँ भी मिटाएगा, और राजस्थान के इस सूखे लेकिन सांस्कृतिक रूप से समृद्ध ज़िले को नई पहचान दिलाएगा।