चंडीगढ़ : हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने के केंद्र सरकार के दबाव के बीच, पंजाब विधानसभा (Punjab Assembly) ने सोमवार को एक बेहद अहम प्रस्ताव पास करते हुए साफ कर दिया कि अब राज्य की एक भी बूंद पानी किसी और को नहीं दी जाएगी। इस प्रस्ताव को सभी दलों के विधायकों ने समर्थन दिया — राजनीति से ऊपर उठकर एक सुर में पंजाब ने अपने जल अधिकारों की लड़ाई को नया आयाम दिया।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मुद्दे पर कहा, “हम मानवीय आधार पर 4,000 क्यूसिक पानी दे रहे हैं — पर अब इससे एक बूंद भी ज़्यादा नहीं। ये पंजाब का हक़ है, और इसे हम किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ सकते।”
BBMB आदेश बना विवाद की जड़
यह विवाद भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) के उस आदेश के बाद गहराया, जिसमें पंजाब से 8,500 क्यूसिक पानी हरियाणा को देने को कहा गया। जबकि हरियाणा पहले ही अपने हिस्से का पानी मार्च तक इस्तेमाल कर चुका है। पंजाब सरकार ने इस आदेश को असंवैधानिक और ज़बरदस्ती करार देते हुए खारिज कर दिया है।
जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने विधानसभा में कहा, “BBMB की मीटिंग बुलाकर बीजेपी सरकार पंजाब के जल अधिकार छीनने की कोशिश कर रही है। पर हम इसके खिलाफ एकजुट हैं। ये पानी अब किसी और को नहीं मिलेगा।”
राजनीति नहीं, पंजाब के अस्तित्व का सवाल
विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी सरकार को पूरा समर्थन देते हुए कहा, “ये राजनीतिक नहीं, अस्तित्व का मुद्दा है। पंजाब का पानी पंजाब के लोगों की आत्मा है, और हम सब एकजुट होकर इसकी रक्षा करेंगे।”
कांग्रेस बनी निशाने पर, लेकिन समर्थन बरकरार
वहीं, सत्ता पक्ष ने पुराने जल समझौतों के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस विधायकों ने वर्तमान सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया और भविष्य की सोच के साथ आगे बढ़ने की अपील की।
शिरोमणि अकाली दल के विधायक मनप्रीत सिंह आयाली ने भी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “हमारी कोर्ट में पैरवी हमेशा कमज़ोर रही है। आज अगर हम पीछे हैं तो इसका कारण कांग्रेस की नीतियां रही हैं।”
BJP के विधायक भी दिखे साथ, लेकिन नाखुश
हालांकि, बीजेपी के पंजाब विधायक अश्विनी शर्मा ने प्रस्ताव को अपनी पार्टी के खिलाफ बताते हुए विरोध दर्ज किया। फिर भी उन्होंने पंजाब के पानी की रक्षा के मुद्दे पर सरकार का समर्थन किया।
“हर बूंद कीमती है अब”
मुख्यमंत्री मान ने बताया कि उनकी सरकार आने के बाद से पंजाब में नहरों के जरिए सिंचाई का दायरा 22% से बढ़कर 60% तक पहुंचा है। ऐसे में अब हर बूंद का मोल बढ़ गया है। “अब हमारे पास अतिरिक्त पानी नहीं है। खेती की ज़रूरतें ही मुश्किल से पूरी हो पा रही हैं।”
इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार से ‘डैम सेफ्टी एक्ट 2021’ को तुरंत रद्द करने की मांग भी की गई है।
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