Punjab-Haryana water dispute: पंजाब सरकार और भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) के बीच नांगल बांध को लेकर मचा विवाद अब पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की चौखट तक जा पहुंचा है। मुद्दा सिर्फ पानी का नहीं, बल्कि संवैधानिक जिम्मेदारियों और क्षेत्रीय अधिकारों की गरिमा से जुड़ा हुआ है।
सुरक्षा या सत्ता का खेल ?
1 मई को पंजाब सरकार ने नांगल बांध और लोहंड नियंत्रण कक्ष की कमान अपने पुलिस बल को सौंप दी। सरकार का तर्क था— हालिया पहलगाम आतंकी हमले के बाद यह कदम सुरक्षा के लिहाज़ से उठाया गया है। लेकिन BBMB, जो केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अधीन काम करता है, इसे एक असंवैधानिक और जबरन हस्तक्षेप मान रहा है।
BBMB ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि पंजाब का यह कदम बोर्ड के कार्यों में सीधी दखलंदाजी है, जो राष्ट्रहित में कार्य कर रहा एक स्वतंत्र निकाय है। बोर्ड ने मांग की है कि पंजाब सरकार तत्काल अपने पुलिस बल को हटाए और बोर्ड के काम में बाधा न डाले।
पानी पर टकराव
विवाद की जड़ 28 अप्रैल से शुरू हुई, जब हरियाणा ने भाखड़ा बांध से 8,500 क्यूसेक पानी की मांग की। BBMB ने इसे तकनीकी समिति की बैठक में मंजूरी दी। लेकिन पंजाब सरकार ने इस फैसले को ठुकरा दिया और पानी का प्रवाह रोक दिया।
पंजाब सरकार का दावा है कि वह पहले ही हरियाणा को मानवीय आधार पर 4,000 क्यूसेक पानी दे रही है — जो पीने के लिए आवश्यक 1,700 क्यूसेक से कहीं अधिक है। उनका आरोप है कि हरियाणा अपने हिस्से के पानी का दुरुपयोग कर चुका है और अब धान की खेती के लिए अधिक पानी की मांग कर रहा है, जिसे वे स्वीकार नहीं कर सकते।
कानून, नियंत्रण और चिंता
BBMB का कहना है कि नांगल बांध पर नियंत्रण उनके अधिकार क्षेत्र में है, और अगर पंजाब पुलिस ने रैगुलेटर गेट्स को खोलने की इजाज़त नहीं दी, तो तय जल आवंटन संभव नहीं हो पाएगा। बोर्ड ने यह भी चेतावनी दी कि पुलिसकर्मियों को जल संरचनाओं की तकनीकी समझ नहीं है, और इसका गंभीर परिणाम हो सकता है।
एक रिटायर्ड BBMB इंजीनियर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यदि राज्य सरकारें बोर्ड के फैसले नहीं मानेंगी, तो फिर बोर्ड को सिर्फ अदालत की शरण लेनी पड़ेगी।”
कोर्ट में तकरार, हलफनामे की तैयारी
हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच — चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमीत गोयल की अध्यक्षता में — मामले की सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और BBMB सभी से जवाब मांगा है। पंजाब सरकार ने अपनी दलील में कहा है कि पड़ोसी राज्यों द्वारा बनाए गए दबाव और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के कारण सुरक्षा तैनाती जरूरी थी।
लेकिन असल चिंता यही है — क्या यह विवाद सिर्फ सुरक्षा का है, या फिर पानी के बहाने राजनीति और प्रभुत्व का टकराव?
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