नई दिल्ली: जब सरहद पर गोलियों की आवाज़ गूंजती है, तो देश के भीतर भी दिलों की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव अब उस मोड़ पर है, जहां नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना वक्त की जरूरत बन गई है। ऐसे माहौल में केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है।
5 मई को गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि 7 मई 2025 को व्यापक स्तर पर “सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल” (Civil Defense Mock Drill) का आयोजन किया जाए। इसका मकसद है—देश के नागरिकों को हर आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार करना, खासकर उन परिस्थितियों में, जब खतरा सरहद पार से हो।
क्या होगा इस मॉक ड्रिल में खास?
इस ड्रिल के तहत ऐसे कई अभ्यास किए जाएंगे जो सीधे युद्ध जैसी स्थितियों में जीवन बचाने की तैयारी से जुड़े हैं। मसलन—
- हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन का परीक्षण,
- स्कूलों और रिहायशी इलाकों में नागरिकों को सुरक्षा प्रशिक्षण,
- संपूर्ण ब्लैकआउट की प्रक्रिया की जांच,
- संवेदनशील प्रतिष्ठानों को सुरक्षित करने के अभ्यास,
- और आपातकालीन निकासी योजनाओं का परीक्षण।

इतिहास खुद को दोहराने की तैयारी में?
यह निर्णय ऐसे वक्त आया है जब कश्मीर घाटी एक बार फिर उबल रही है। कुछ ही हफ्ते पहले पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई, और इसके पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों की संलिप्तता बताई गई। सीमा पर लगातार 11 रातों से गोलाबारी ने दोनों देशों के बीच भरोसे की दीवार को और कमजोर कर दिया है।
गौरतलब है कि इस तरह की व्यापक नागरिक सुरक्षा ड्रिल आखिरी बार 1971 में हुई थी—जब भारत और पाकिस्तान युद्ध के मुहाने पर थे। उस साल इतिहास ने करवट ली थी, और अब, ऐसा प्रतीत होता है कि इतिहास फिर से चेतावनी दे रहा है।
फिरोजपुर में दिखी तैयारी की झलक
पंजाब के फिरोजपुर छावनी क्षेत्र में बीती रात 9 से 9:30 बजे तक ब्लैकआउट किया गया। PSPCL को पहले से ही बिजली कटौती का निर्देश दिया गया था। छावनी बोर्ड ने कहा, “यह एक अभ्यास है, मगर इसका उद्देश्य बहुत गंभीर है—युद्ध जैसे हालात में बिजली गुल होने पर सुरक्षा और प्रतिक्रिया की तैयारियों की जांच।”
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