नई दिल्ली: देशभर में गेहूं की कीमतों को थामने और आम जनता को राहत देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। खुदरा और थोक व्यापारियों से लेकर प्रोसेसर और स्टॉकिस्ट तक — अब सभी के लिए गेहूं रखने की सीमा तय (Wheat Stock Limit) कर दी गई है। आदेश साफ है: 15 दिन के भीतर तय सीमा से ज़्यादा गेहूं को निपटाया जाए।
यह निर्देश उस वक्त आया है जब इस बार की गेहूं खरीद लगभग अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। सरकार ने जहां 33.27 मिलियन टन का लक्ष्य रखा था, वहां 27 मई तक कुल 29.82 मिलियन टन गेहूं की खरीद हो पाई। ऐसे में अब सरकारी भंडार में नई आवक की संभावनाएं बहुत सीमित हैं।
राजस्थान अपवाद- लेकिन स्टॉक सीमा सख्त
खाद्य मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों ने जानकारी दी है कि राजस्थान को छोड़कर देश के अन्य हिस्सों से अब गेहूं की बड़ी मात्रा आने की उम्मीद नहीं है। अनुमान है कि कुल भंडार अब लगभग 30 मिलियन टन तक सीमित रह सकता है। ऐसे में सरकार के पास यह सुनिश्चित करने के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचा कि जो गेहूं बाज़ार में है, वह आम जनता की पहुंच में रहे, न कि गोदामों में छिपा रहे।
हर वर्ग के लिए तय की गई मात्रा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए 31 मार्च 2026 तक गेहूं की स्टॉक सीमा लागू करने का निर्णय लिया है।
केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार:-
- खुदरा विक्रेता अपने प्रत्येक आउटलेट पर 10 टन तक गेहूं ही रख सकेंगे।
- बड़ी चेन वाले खुदरा विक्रेता, जिनके पास कई स्टोर हैं, प्रत्येक स्टोर के लिए 10 टन की सीमा के तहत ही कुल स्टॉक रख सकते हैं — यानी 5 स्टोर होने पर अधिकतम 50 टन तक।
- थोक विक्रेताओं और व्यापारियों के लिए यह सीमा 3,000 टन रखी गई है।
- प्रोसेसर, जैसे आटा मिल वाले, अपनी मासिक क्षमता के 70% गुणा बचे हुए महीनों तक स्टॉक रख सकेंगे।
उदाहरण के लिए, अगर किसी मिल की मासिक क्षमता 2,000 टन है, तो वह जून से मार्च के बीच अधिकतम 14,000 टन तक गेहूं रख सकता है।
15 दिन का समय और सरकार की चेतावनी
27 मार्च को खाद्य मंत्रालय की संयुक्त सचिव सी. शिखा द्वारा जारी किए गए आदेश को अब औपचारिक रूप से राजपत्र में प्रकाशित कर दिया गया है। इसमें सभी हितधारकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने गेहूं स्टॉक की जानकारी नियमित रूप से सरकारी पोर्टल पर दर्ज करें। यदि उनके पास तय सीमा से अधिक स्टॉक है, तो 15 दिनों के भीतर उसे घटाकर सीमा के भीतर लाना अनिवार्य होगा।
विडंबना-ऐसे समय आया आदेश
दिलचस्प बात यह है कि स्टॉक सीमा वाला यह आदेश उसी दिन आया, जब कृषि मंत्री ने 2023-24 में गेहूं उत्पादन को लेकर नए अनुमान साझा किए। मंत्री ने कहा कि इस साल उत्पादन 113.29 मिलियन टन से बढ़कर 117.51 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है — यानी करीब 3.7% की वृद्धि।
परंतु यह अनुमान और वास्तविक आवक में फर्क सरकार को चिंतित कर रहा है। खरीद लक्ष्य से पीछे रहना और बाजार में स्टॉक की अनियमितता — यही वह कारण है जिसकी वजह से स्टॉक नियंत्रण को सख्ती से लागू किया जा रहा है।
स्टॉक लिमिट के फैसले का कितना पड़ा कीमतों पर असर?
हालांकि अभी तक स्टॉक लिमिट के फैसले का ज़्यादा कुछ असर नहीं देखने को मिला। दिल्ली लारेंस रोड की बात करें तो आज यानी 29 मई 2025 को सुबह गेहूं का भाव एमपी, यूपी और राजस्थान लाइन में ₹2750-₹2760 पर स्थिर खुला । आवक 6000 से 6500 बोरी की दर्ज की गई। इससे पहले कल देश की अधिकांश मंडियों में गेहूं का रेट तकरीबन स्थिर ही रहा, हालांकि कुछ स्थानों पर ₹5 से ₹10 प्रति क्विंटल की मामूली गिरावट देखी गई थी। बाज़ार के जानकारों की माने तो स्टॉक लिमिट लागू होने से आने वाले कुछ दिनों में ₹25 से ₹30 की गिरावट आ सकती है। व्यापारियों को सतर्कता से व्यापार करने की सलाह दी जाती है ।
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