अलवर: राजस्थान के अलवर जिले के उन गांवों की रुकी हुई सांसें अब चलने वाली हैं, जहां पानी की एक-एक बूंद के लिए लोगों को मीलों संघर्ष करना पड़ता है। पार्वती-कालीसिंध-चंबल पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (PKC-ERCP Project) के तहत अलवर के शहरी और ग्रामीण इलाकों को चंबल और कालीसिंध नदी का पानी मिलने की उम्मीद ने लोगों में नई आस जगाई है। यहां के 16 में से 7 ब्लॉकों में पानी भरतपुर से 200 किलोमीटर का सफर तय करके पहुंचेगा, वहीं करौली के खुर्रा-चैनपुरा से 150 किलोमीटर लंबी नहरें बनाई जाएंगी।
कैसे पहुंचेगा पानी?
परियोजना की सबसे बड़ी चुनौती अलवर के पहाड़ी इलाके हैं, जहां नहरों के निर्माण के लिए टनल बनाने की योजना बनी है। जल संसाधन विभाग के अनुसार, जिन क्षेत्रों में पहाड़ियां नहर के रास्ते में अवरोध बनती हैं, वहां टनल के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा। “नहरों और टनल का निर्माण पूरा होने के बाद पानी की आवक की जांच की जाएगी,” बताते हैं हरीकिशन अग्रवाल, एसई, पीएचईडी परियोजना विभाग, भरतपुर।
अक्टूबर तक शुरू होगा काम
भरतपुर से पानी लाने वाले हिस्से के लिए 5,372 करोड़ रुपए के टेंडर जारी हो चुके हैं। 2-3 जून को निविदाएं प्राप्त होने के बाद अक्टूबर तक काम शुरू होने की उम्मीद है। वहीं, करौली से पानी लाने वाले 3,446 करोड़ रुपए के टेंडर 16 मई को होंगे और नवंबर तक निर्माण शुरू होगा। विभाग ने भरतपुर मार्ग को 3 साल और करौली मार्ग को 4 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
किसे मिलेगा लाभ?
इस परियोजना से सिर्फ पीने का ही नहीं, बल्कि खेती के लिए भी पानी उपलब्ध होगा। भरतपुर मार्ग से बहरोड़, नीमराणा, तिजारा समेत 7 ब्लॉकों के 882 गांवों को चंबल का पानी मिलेगा। वहीं, चैनपुरा नहर से 9 ब्लॉकों के ग्रामीणों को पानी की दोहरी सुविधा मिलेगी। गांवों में पानी की टंकियां बनाने की तैयारी भी जोरों पर है।
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