नई दिल्ली: इंडस जल संधि (IWT) अब इतिहास बनती दिख रही है। भारत ने पाकिस्तान की ओर बहने वाले पानी पर सख्ती दिखाते हुए बड़ा कदम उठाया है। जम्मू-कश्मीर के बगलिहार डैम (Baglihar Dam) में जलस्तर घटाने के लिए स्लूइस गेट्स बंद कर दिए गए हैं, जिससे पाकिस्तान को जाने वाला पानी 90% तक कम कर दिया गया है। साथ ही, झेलम नदी पर बने किशनगंगा प्रोजेक्ट में भी जल्द ही ऐसा ही ऑपरेशन शुरू होने वाला है।
पिछले कुछ हफ्तों से जल संसाधन मंत्रालय और गृह मंत्रालय के बीच लगातार बैठकें चल रही थीं। अब जाकर भारत ने साफ संकेत दे दिया है — “अब एक भी बूँद पाकिस्तान नहीं जाएगी।”
जलधारा की दिशा बदली, नीति में बदलाव
बगलिहार डैम में डीसिल्टिंग की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह सामान्य रखरखाव का हिस्सा बताया जा रहा है, लेकिन इसका रणनीतिक असर गहरा है। एक अधिकारी ने बताया, “डैम के स्लूइस गेट्स बंद कर दिए गए हैं और जलाशय को फिर से भरने का काम शुरू हो चुका है।”
ये घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आए हैं जब पाकिस्तान ने सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है और भारत के बंदरगाहों पर पाकिस्तानी झंडा लगे जहाजों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है।
किशनगंगा भी तैयारी में, पाकिस्तान की आपत्ति पर भारत का जवाब
गुरेज़ घाटी में स्थित किशनगंगा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट, जो झेलम नदी पर बना है, वहां भी जल्द ही पानी रोकने की तैयारी चल रही है। पाकिस्तान ने पहले ही इन दोनों परियोजनाओं की डिज़ाइन पर आपत्ति जताई थी, लेकिन भारत अब इन विरोधों को खारिज करते हुए आंतरिक हितों को प्राथमिकता दे रहा है।
इंडस जल संधि पर विराम, नई नीति के संकेत
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 1960 में हुई इंडस जल संधि को “स्थगित” कर दिया था। इसके बाद से जल प्रबंधन को लेकर नई रणनीति पर काम शुरू हो गया। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “हम अब अपने नागरिकों के लिए जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित कर रहे हैं।”
जल शक्ति मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया है कि NHPC के लगभग 50 इंजीनियर जम्मू-कश्मीर पहुंच चुके हैं, जहां विभिन्न परियोजनाओं की निगरानी हो रही है।
2028 तक 3000 MW हाइड्रोपावर
भारत ने चेनाब नदी पर चार बड़े जलविद्युत प्रोजेक्ट्स पर काम तेज कर दिया है — पकल डुल (1,000 मेगावाट), किरू (624 मेगावाट), क्वार (540 मेगावाट) और रतले (850 मेगावाट)। इन सभी परियोजनाओं को 2027-28 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें से पकल डुल 66% और किरू 55% तक निर्माण की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं।
NHPC और JKSPDC की संयुक्त पहल से बन रही ये परियोजनाएं सालाना 10,541 मिलियन यूनिट बिजली पैदा करेंगी। पाकल दुल में 66%, किरू में 55% काम पहले ही पूरा हो चुका है।
रतले प्रोजेक्ट में 21% कार्य पूरा हो चुका है और नवंबर 2028 तक इसके पूरा होने की संभावना है। जून 2024 में विश्व बैंक के नियुक्त विशेषज्ञ और पाकिस्तान प्रतिनिधिमंडल ने रतले परियोजना का निरीक्षण भी किया था।
जम्मू-कश्मीर को मिलेगी ऊर्जा की नई ताकत
पाकिस्तान लंबे समय से इन बांधों के डिज़ाइन को लेकर आपत्ति जता रहा है। जून 2024 में, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल और विश्व बैंक के न्यूट्रल एक्सपर्ट मिशेल लिनो ने रातले प्रोजेक्ट का निरीक्षण भी किया था। लेकिन भारत का रुख स्पष्ट है: “जम्मू-कश्मीर की 18,000 MW हाइड्रोपावर क्षमता का सिर्फ 23.81% ही अब तक इस्तेमाल हो पाया है। चेनाब बेसिन में 11,283 मेगावाट की पहचान की गई है। भारत का फोकस अब इस क्षेत्र में क्षमता के पूर्ण दोहन पर है।”
ये भी पढ़े – राजस्थान की प्यास बुझाएगी चंबल-कालीसिंध नहर: 882 गांवों को मिलेगा पानी, जानें कब शुरू होगा काम